पटना: 1974 के जेपी आंदोलन के बाद राज्य में 1977 में विधानसभा का चुनाव हुआ. इसके पहले केंद्र में कांग्रेस का पतन हो चुका था और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी. इसके बाद बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ. उम्मीद के मुताबिक विधानसभा चुनाव में भी जनता पार्टी की लहर रही. प्रदेश में 324 सदस्यों वाली विधानसभा में उसके 214 विधायक जीत कर आये. प्रदेश में पूर्ण बहुमत से जनता पार्टी की सरकार बनी.
कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गये, लेकिन चंपारण ऐसा जिला था, जहां वहां की 20 विधानसभा सीटों में अधिकतर पर कांग्रेस के ही उम्मीदवार चुनाव जीते. कुल 20 सीटों में तीन पर जनता पार्टी, दो पर भाकपा और एक पर माकपा की जीत हुई. जिले की चनपटिया सीट पर जनता पार्टी के वीर सिंह, ढाका में सियाराम ठाकुर और हरसिद्धि में युगल किशोर प्रसाद सिंह चुनाव जीते. वहीं, सुगौली में माकपा के रामाश्रय सिंह, पिपरा में भाकपा के तुलसी राम और केसरिया में पीतांबर सिंह चुनाव जीत गये. बाकी की 14 सीटें कांग्रेस की ही झोली में रही.
चुनाव के पहले तक मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र भी झंझारपुर विधानसभा की सीट पर चुनाव जीत गये, लेकिन जब विधानसभा का गठन हुआ, तो नेता विरोधी दल की कुर्सी दानापुर से कांग्रेस की टिकट पर जीते रामलखन सिंह यादव को मिली. चुनाव बाद कर्पूरी ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में जनता पार्टी को कुल 214 सीटें आयीं, जबकि भाकपा को 21, माकपा को चार, कांग्रेस को 57, छोटी पार्टियों के चार और निर्दलीय 24 सदस्य जीत कर विधानसभा आये.
चुनाव के पहले तक मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र भी झंझारपुर विधानसभा की सीट पर चुनाव जीत गये, लेकिन जब विधानसभा का गठन हुआ, तो नेता विरोधी दल की कुर्सी दानापुर से कांग्रेस की टिकट पर जीते रामलखन सिंह यादव को मिली. चुनाव बाद कर्पूरी ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में जनता पार्टी को कुल 214 सीटें आयीं, जबकि भाकपा को 21, माकपा को चार, कांग्रेस को 57, छोटी पार्टियों के चार और निर्दलीय 24 सदस्य जीत कर विधानसभा आये.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya