पटना : राज्य में विधानसभा की कुल 243 सीटों में 38 सीटें अनुसूचित जाति और दो सीटें अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए आरक्षित हैं. पिछले दो विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि एनडीए से जदयू के अलग होने का नुकसान दोनों दलों को भुगतान पड़ा था. भाजपा को जहां अपनी 15 सीटें गवांनी पड़ी थीं, वहीं जदयू को अपनी आठ सीटों को महागठबंधन प्रत्याशियों के लिए छोड़ना पड़ा था. इसका लाभ राजद और कांग्रेस को मिला. एनडीए की तीन सीटें हम, बीएलसपी व माले के प्रत्याशियों के खाते में चली गयीं. राज्य की दो अनुसूचित जनजाति की सीटों में भाजपा को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा , तो जदयू के सीटिंग विधायक को कांग्रेस पार्टी से टिकट देकर सीट बचा ली गयी.
बिहार विधानसभा चुनाव 2010 में अनुसूचित जाति की 38 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर राजद अपना खाता खोल पाया था. उस चुनाव में जदयू को 19 सीटों पर जीत मिली थी, तो भाजपा के 18 प्रत्याशी विजयी हुए थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के एनडीए से निकलकर महागठबंधन में शामिल होने से पूरा समीकरण ही बदल गया. 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू को आठ सीटें महागठबंधन को देनी पड़ीं. इनमें अनुसूचित जाति की 38 सीटों में से राजद की झोली में 13 सीटें आयीं, तो जदयू के खाते में 11 सीटें गयीं. भाजपा की 18 सीटें सिमटकर पांच पर आ गयीं. इधर, 2010 के चुनाव में खाता भी नहीं खोलनेवाली कांग्रेस की झोली में छह सीटें आ गयीं. इसके अलावा हम, बीएलएसपी व माले के भी एक-एक उम्मीदवार विधानसभा तक पहुंचे.
राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में रामनगर, हरसिद्धि, बथनाहा,राजनगर, त्रिवेणीगंज, रानीगंज, बनमनखी, कोढ़ा, सिंहेश्वरस्थान, सोनबरसा, कुशेश्वरस्थान, बोचहां, सकरा,भोरे, दरौली, गरखा, राजापाकर, पातेपुर, कल्याणपुर, रोसड़ा, बखरी, अलौली, पीरपैंती, धोरैया, राजगीर, फुलवारीशरीफ, मसौढ़ी, अगिआंव, राजपुर, मोहनिया, चेनारी, मखदुमपुर, कुटुंबा, इमामगंज, बाराचट्टी, बोधगया, रजौली और सिकंदरा शामिल हैं.
अनुसूचित जाति की गया जिले में सबसे अधिक तीन सीटें इमामगंज, बाराचट्टी और बोधगया हैं. इसके अलावा मुजफ्फरपुर जिले में दो सीटें बोचहा और सकरा हैं. इसी तरह से वैशाली जिले में एससी की दो सीटें राजापाकर और पातेपुर हैं. पटना जिले की दो सीटें फुलवारीशरीफ और मसौढ़ी भी एससी कोटि के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति की एक सीट कटिहार जिले में मनिहारी है, जबकि बांका जिले की कटोरिया विधानसभा सीट है. कटिहार जिला ऐसा है जहां पर अनुसूचित जाति की एक सीट कोढ़ा , तो अनुसूचित जनजाति की एक सीट मनिहारी है. इसी प्रकार बांका जिले की एक सीट धोरैया अनुसूचित जाति के लिए, तो कटोरिया अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
राज्य के पांच ऐसे जिले हैं जहां पर न तो एससी की और न ही एसटी वर्ग की कोई सीट आरक्षित हैं. इनमें किशनगंज, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा और अरवल जिले शामिल हैं.
posted by ashish jha