Bihar Election 2020 : चुनावी शंखनाद के बाद भी सन्नाटा क्याें पसरा है भाई…
गया : चुनाव की रणभेरी बजते ही चुनावी चहल-पहल शुरू हाे जाती थी. भीड़-भाड़, रैली, चुनावी सभाएं व नामांकन के लिए उम्मीदवाराें व समर्थकाें की भीड़. लेकिन, चुनावी शंखनाद के एक सप्ताह गुजर जाने के बाद न कहीं काेई चहल-पहल है न काेई रैली या जन सभाएं. और ना नामांकन की भीड़-भाड़.
गया : चुनाव की रणभेरी बजते ही चुनावी चहल-पहल शुरू हाे जाती थी. भीड़-भाड़, रैली, चुनावी सभाएं व नामांकन के लिए उम्मीदवाराें व समर्थकाें की भीड़. लेकिन, चुनावी शंखनाद के एक सप्ताह गुजर जाने के बाद न कहीं काेई चहल-पहल है न काेई रैली या जन सभाएं. आैर, ना नामांकन की भीड़-भाड़. अजीब सी वीरानी है. सन्नाटा पसरा है. जनता में भी इसकाे लेकर काेई स्पंदन नहीं. बस चलते-फिरते थाेड़ी-बहुत बात हाे गयी, ताे गयी. काेई जमकर बहस-मुहाबसे नहीं. आखिर हाे भी ताे कैसे? चुनाव के लिए टिकट की दाैड़ में सभी टिकटार्थी पटना स्थित पार्टी कार्यालय या फिर अपने पार्टी के शीर्ष नेताआें के मान-मनाैव्वल में लगे हैं. यहां स्थानीय स्तर न पार्टी दफ्तर में, ना ही जिलाध्यक्ष के दरवाजे पर आैर ना ही टिकटार्थी के दरवाजे पर भीड़-भाड़ है. काेई राजधानी पटना ताे काेई दिल्ली में डेरा डाले है. उधर स्थिति यह है कि पार्टियाें में टिकट बंटवारे व सीट शेयरिंग काे लेकर तालमेल ही नहीं बैठ रहा, ऐसे में उम्मीदवार की घाेषणा करें, ताे कैसे? अब उम्मीदवाराें के जब का खर्च बढ़ता जा रहा है. पटना या दिल्ली में डेरा जमाये उम्मीदवार, उनके पैराेकार व समर्थक हाेटलाें, रेस्तरां में उनकी जमकर पॉकेट ढीले कर रहे हैं.नामांकन के पांच दिन बचे हैं शेषगया में पहले चरण में 28 अक्तूबर काे चुनाव हाेना है, जिसके लिए आठ अक्तूबर तक नामांकन की अंतिम तिथि घाेषित है. शेष बचे छह दिनाें में एक दिन रविवार हाेने की वजह से छुट्टी है. पांच दिनाें में नामांकन की प्रक्रिया पूरी हाेनी है, पर उम्मीदवार सिंबल लेकर आयें, तभी ताे नामांकन हाेगा. ऐसे में नामांकन के लिए आपाधापी मच जायेगी. प्रशासन काे निर्धारित समय सीमा के अंदर नामांकन की प्रक्रिया पूरी कराने में कम मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. यूं काेराेना की वजह से जनसभाएं नहीं हाेंगी. नामांकन में उम्मीदवार सिर्फ दाे गाड़ियाें का ही इस्तेमाल कर पायेंगे. काेराेना महामारी का पूरा असर चुनावी प्रक्रिया पर देखने काे मिल रहा है.