पटना: राज्य के तिरहुत प्रमंडल के जिलों में अब तक गठबंधन की राजनीति सफल होती आयी है़. पिछले दो-तीन चुनावों में पार्टियों के जीतने वाले सीटों की संख्या का आकलन करें तो ऐसी ही गणित निकल कर सामने आती है़. इस प्रमंडल के मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली जिलों के लगभग 46 विधानसभा सीटों पर भाजपा, जदयू व राजद में वहीं पार्टियां अधिक सीट जीतने में सफल रही हैं, जो शेष दो पार्टियों में से किसी एक साथ जुड़ जाती हैं.
2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो यहां से महागठबंधन के लिए राजद, जदयू व कांग्रेस ने कुल 25 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन 2010 के चुनाव में जब जदयू व भाजपा साथ थे तो मामला एकतरफा रहा़. इन दोनों पार्टियों ने 46 में से 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी़. ऐसे में इस चुनाव में भी गठबंधन के आधार पर ही अधिक- से – अधिक सीटों पर जीत दर्ज किये जाने की संभावना बनती दिख रही है़.
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भाजपा, जदयू के अलावा एक कांग्रेस, लोजपा व निर्दलीय जीत की भी संभावना बनती रही है़ 2015 व 2010 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, निर्दलीय व लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार ने अच्छा प्रदर्शन किया था़ भले ही 2015 के चुनाव में कांग्रेस व लोजपा को दो-दो सीटों से संतोष करना पड़ा हो, लेकिन कई सीटों पर इन पार्टियों के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं. निर्दलीय भी एक दो सीटों पर जीतते रहे व कुछ सीटों पर दूसरे नंबर पर रह चुके हैं.
मुजफ्फरपुर जिले में भाजपा, राजद व जदयू की जीत होती रही है़ जिले के गायघाट, औराई, मीनापुर, बोचहां, कुढ़नी, सकरा, मुजफ्फरपुर, बरुराज, पारू और साहेबगंज विधानसभा सीटों में उन्हीं पार्टियों को अधिक सीटों पर जीत मिली़ जब दो पार्टियां मिल कर लड़ीं. 2015 के चुनाव में राजद ने छह व भाजपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. जदयू को एक भी सीट नहीं मिली थी़ वहीं, 2010 के चुनाव में बीजेपी व जदयू ने मिल कर नौ सीटों पर कब्जा किया और राजद को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ा था़
पूर्वी चंपारण के 12 विधानसभा क्षेत्रों मसलन रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि, गोबिंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पीपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया व ढाका की सीटों पर दो चुनावों में बीजेपी का दबदबा रहा है़ 2015 के चुनाव में बीजेपी को सात व 2010 के चुनाव में छह सीटें मिली थी़ं 2015 के चुनाव में राजद ने चार सीटों पर कब्जा जमाया था़ जब 2010 में भाजपा व जदयू साथ लड़ीं, तो 11 सीटें इनके पाले में चली गयीं थीं. इस दौरान जदयू को पांच सीटें मिली थीं.
पश्चिमी चंपारण के नौ विधानसभा सीटों जैसे बाल्मीकिनगर, बेतिया, लौरिया, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, नवतन, चनपटिया और सिकरा में 2015 के चुनाव के दौरान बीजेपी ने पांच व जदयू ने एक सीटों पर कब्जा किया था़ यहां कांग्रेस को भी दो सीटें मिली थी़ं 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू को तीन व भाजपा को चार सीटें मिलीं. बीते दोनों चुनावों के दौरान राजद का हाथ खाली रहा़
सीतामढ़ी जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों बथनाहा, परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी और रुन्नौसैदपुर में गठबंधन का गणित की सफल रहा है़ वर्ष 2015 के चुनाव में भाजपा को दो, राजद को तीन और जदयू को एक सीट मिली थी़ वर्ष 2010 में भाजपा ने तीन व जदयू ने तीन सीटों पर कब्जा का एनडीए को सौ फीसदी सफल कर दिया था़
शिवहर जिले के बेलसंड विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2015 व 2010 के दोनों विधानसभा चुनावों में जदयू ही सफल रहा है़
वैशाली जिले के आठ विधानसभा सीटों हाजीपुर, पातेपुर, मनहार, राघोपुर, राजापाकर, महुआ, वैशाली व लालगंज में वर्ष 2015 के चुनाव में महागठबंधन को छह सीटों मिली थीं. इस दौरान राजद को चार सीटों का लाभ हुआ था़ जदयू को दो सीटें मिली थीं. वर्ष 2010 के चुनाव में एनडीए ने एकतरफा जीत हासिल की थी़ जदयू को पांच व बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं.
राजद -17
बीजेपी – 18
जदयू -05
एलजेपी- 02
कांग्रेस – 02
राजद – 01
जदयू – 22
बीजेपी -20
( अनिकेत त्रिवेदी की रिपोर्ट )
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya