कंचन, गया : समय व परिस्थिति के साथ राजनीतिकाें के आचार-विचार, व्यवहार व कार्यशैली में भारी परिवर्तन आया है. एक सिद्धांत, आदर्श व विचाराें की राजनीतिक करनेवाले नेता अब नहीं दिखते. आज राजनीति के मायने बदलते जा रहे हैं. बदलते परिवेश के साथ राजनीति में ‘गन व धन’ की प्रमुखता बढ़ती जा रही है. ये दाेनाें हैं या इनमें किसी एक में निपुणता है, ताे राजनीति के दरवाजे खुले हैं. आप राजनीति में ऊपर तक सीढ़ियां चढ़ सकते हैं. लेकिन, बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच आज भी आदर्श की मिसाल पेश करनेवाले कई ऐसे नेता हैं, जाे प्रेरणास्त्राेत हैं.
जी, इन्हीं में एक नाम है, पूर्व मंत्री जीएस रामचंद्र दास की. एक नहीं तीन बार विधायक रहे आैर दाे-दाे मंत्रालय भी संभाला पर आज की तारीख में उनके पास रहने काे न अपना घर है आैर ना ही काेई वाहन. खुद मैट्रिक पास कर जगजीवन कॉलेज में इंटर में एडमिशन ताे लिया, पर आर्थिक तंगहाली के कारण बीच में पढ़ाई छाेड़नी पड़ी. घर का खर्च चलाने वाले पिताजी की मृत्यु के बाद पैसे की कमी हाे गयी. आैर, वे इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी न कर सके. भाई रेलवे में नाैकरी करते थे, ताे उन्हीं के क्वार्टर में खुद भी परिवार के साथ गुजारा कर लेते थे.
जीएस रामचंद्र दास 1980 व 1985 में बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इस बीच उन्हें पहले भवन निर्माण सह पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाया गया फिर बाद में मंत्रालय बदलकर श्रम एवं नियाेजन मंत्री बनाया गया. इस बीच श्री दास ने माेहनपुर काे प्रखंड व शेरघाटी काे अनुमंडल का दर्जा दिलाने में मुख्य भूमिका निभायी. डाेभी काे भी प्रखंड का दर्जा दिलवाने में उनकी महती भूमिका रही.
माेहनपुर के कई सुदूर गांवाें तक बिजली की सुविधा दिलवायी. माेहनपुर से इटवां तक राेड का निर्माण करवाया, जिससे बाेधगया की दूरी कम गयी. इसके बाद 1998 में बाेधगया में हुए उप चुनाव में कांग्रेस की टिकट से पुन: चुनाव जीते. 1995 में यहां से चुनाव जीतीं मालती देवी 1998 में नवादा से सांसद बन गयी. तब इस खाली हुए सीट पर जीएस रामचंद्र दास काे माैका मिला. हालांकि इसका कार्यकाल महज करीब डेढ़ वर्ष का ही रहा. राजनीति की चकाचाैंध से अब भी दूर रहते हैं.
posted by ashish jha