यह 1980 का विधानसभा चुनाव था. पूर्णिया जिले की राजनीति गरमायी हुई थी. पूर्णिया सदर की सीट पर माकपा ने अपने युवा नेता अजित सरकार को उम्मीदवार बनाया था. अजित सरकार शहर के बड़े चर्चित हाेम्याेपैथ चिकित्सक डाॅ अमित सरकार के बेटे थे.
छात्र जीवन में एसएफआइ के जुझारू कार्यकर्ता रहे अजित सरकार को लेकर शहर के मतदाताओं में भी उत्सुकता थी. इसके पहले 1977 के चुनाव में यहां से जनता पार्टी की जीत हुई थी. 1977 के चुनाव में बतौर निर्दलीय अजित सरकार खड़े हुए थे और 12 हजार से अधिक वोट लाकर वे तीसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन, इस बार शुरू से ही उनका चुनावी जंग में दबदबा दिख रहा था.
उनके खिलाफ कांग्रेस ने शारदा प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया था. लंबा कद काठी, चेहरे पर दाढ़ी और कुर्ता पायजामा में युवकों के बीच लोकप्रिय नेता के रूप में उनकी पहचान बनती गयी. चुनाव परिणाम जब आया तो अजित सरकार 10 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत गये.
उन्हें 27480 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेसी उम्मीदवार शारदा प्रसाद सिंह को 17398 वोट आये. अजित सरकार इस बार जीते तो चार बार वे पूर्णिया से विधायक रहे. विधानसभा के भीतर उनकी जनता से जुड़े सवाल गूंजते रहे. 1998 में उनकी हत्या हो गयी.
posted by ashish jha