Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव के तीसरे चरण को लेकर जारी सियासी खींचतान के बीच सभी की नजरें मधेपुरा पर है. वैसे भी मधेपुरा सीट पर देशभर की नजरें रहती हैं. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में मधेपुरा सीट से 20 साल के बाद पप्पू यादव चुनाव लड़ रहे हैं. 2015 के चुनाव में मधेपुरा सीट से राजद प्रत्याशी चंद्रशेखर जीते थे. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने पुराने कैंडिडेट चंद्रशेखर पर भरोसा जताया है. जबकि, जेडीयू ने निखिल मंडल को अपना उम्मीदवार बनाया है.
मधेपुरा विधानसभा सीट की बात करें तो जाप प्रमुख पप्पू यादव के मैदान में उतरने से लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. इस सीट पर जाप प्रमुख पप्पू यादव, जेडीयू और राजद के बीच मुकाबला तय है. आखिरी चरण में 7 नवंबर को मधेपुरा सीट पर वोटिंग है. वहीं, वोटिंग से पहले सभी दल हार-जीत के दावे भी कर रहे हैं.
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पुरुष- 1.64 लाख
महिला- 1.52 लाख
ट्रांसजेंडर- 10
मधेपुरा सीट से उतरे जाप प्रमुख पप्पू यादव 20 साल बाद विधायकी जीतने की लड़ाई लड़ रहे हैं. पप्पू यादव ने पहली बार 1990 में जिले की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता. पप्पू यादव मधेपुरा और पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं. उन्होंने 1991, 1996 में लोकसभा चुनाव जीता. 1998 के चुनाव में बीजेपी के जयकृष्ण मंडल से हार गए थे. 1999 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था. 2004 के चुनाव में पप्पू यादव ने शरद यादव को हराया था.
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मधेपुरा में मुस्लिम और यादव वोटर्स को गेमचेंजर माना जाता है. इन दोनों का वोट जिसे मिलता है उसे चुनाव में जीत निश्चित मिलती है. मधेपुरा की सीट का बिहार के कद्दावर नेता शरद यादव से भी खास कनेक्शन रहा है. जबकि, मधेपुरा सीट पर राजद की गहरी पकड़ भी मानी जाती है. अब चुनावी नतीजे क्या होते हैं, इसका पता तो दस नवंबर को काउंटिंग के साथ चल जाएगा. फिलहाल मधेपुरा सीट पर सियासी हलचल तेज है. कहीं ना कहीं मधेपुरा सीट पप्पू यादव के राजनीतिक करियर के लिए भी खास है.
Posted : Abhishek.