पटना : बाढ़ के लिए जाने वाल कोसी प्रमंडल के जिलों में जदयू व राजद ही लड़ाई के दो पक्ष रहे हैं. विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी भी एक-दो सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है़ अब इस बार का चुनाव के मैदान में राजद व जदयू ही निर्णायक होंगे़ पिछले दो चुनाव का आंकलन करें, तो प्रमंडल के कुल तीन जिले मधेपुरा, सहरसा व सुपौल के 12 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को मात्र एक सीटें मिली थीं.जबकि, राजद को चार व जदयू को सबसे अधिक सात सीटों पर जीत मिली थी़ मधेपुरा जिले के अधिकांश सीटों पर जदयू का ही कब्जा रहा, जबकि सहरसा में राजद को सीटें मिली थी़ दो चुनाव में खास बात यह रही है कि इन क्षेत्रों से कांग्रेस, वामदल सहित अन्य पार्टियां बाहर रही हैं.
कोसी क्षेत्र के मधेपुरा जिले के 2015 के विधानसभा चुनाव में आलमनगर, बिहारगंज, सिंगेश्वर में जदयू ने कब्जा जमाया था़ इस चुनाव में मधेपुरा में राजद का कब्जा रहा़ वहीं, सहरसा जिले के सोनवर्षा में केवल जदयू को जीत मिली थी़ राजद ने महिषी और सहरसा की सीट पर जीत दर्ज किया था़ इसके अलावे सुपौल जिले के सुपौल, निर्मली व त्रिवेणीगंज पर जदयू ने जीत दर्ज किया़ पिपरा की सीट पर राजद व छातापुर की सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था़
वर्ष 2010 के विस चुनाव में तीनों जिले में राजद को मात्र दो सीटों से संतोष करना पड़ा था़ राजद को सहरसा जिले के महिषी व मधेपुरा जिले के मधेपुरा सीट पर जीत मिली थी. इसके अलावा आलमनगर, बिहारगंज, सिगेंश्वर, सोनवर्षा के अलावे सुपौल, पिपरा, निर्मली, छातापुर व त्रिवेणीगंज पर जदयू ने कब्जा जमाया था़ बीजेपी को 2010 के विधानसभा चुनाव में पिछली चुनाव की तरह सहरसा की एक मात्र सीट पर संतोष करना पड़ा़
posted by ashish jha