Bihar Election 2020: क्लर्क की नौकरी छोड़ राजनीति में आए जीतन राम मांझी, हवा का रूख देख चुनावी समर में कूदने के हैं महारथी…
गया: मगध की राजनीति में फिलहाल अपनी पहचान बना चुके हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इस बार चुनावी समर के मंझधार में छलांग लगायेंगे या फिर सिरमौर बनकर रहेंगे, मतदाताओं में चर्चा छिड़ चुकी है. यूं जीतन राम मांझी हवा का रूख देखकर चुनावी मैदान में उतरते हैं. कांग्रेस, राजद, जदयू और हम की टिकट पर दो बार लोकसभा व नौ बार विधानसभा चुनाव में मांझी किस्मत आजमा चुके हैं. उन्हें संसदीय चुनाव में दोनो बार हार खानी पड़ी है. 1980 से अब तक एक बार फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में पराजित हुए हैं, जबकि पिछली बार मखदुमपुर व इमामगंज से चुनाव लड़े, जिसमें मखदुमपुर में पराजित हुए, पर इमामगंज में उन्हें जीत हासिल हुई.
गया: मगध की राजनीति में फिलहाल अपनी पहचान बना चुके हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इस बार चुनावी समर के मंझधार में छलांग लगायेंगे या फिर सिरमौर बनकर रहेंगे, मतदाताओं में चर्चा छिड़ चुकी है. यूं जीतन राम मांझी हवा का रूख देखकर चुनावी मैदान में उतरते हैं. कांग्रेस, राजद, जदयू और हम की टिकट पर दो बार लोकसभा व नौ बार विधानसभा चुनाव में मांझी किस्मत आजमा चुके हैं. उन्हें संसदीय चुनाव में दोनो बार हार खानी पड़ी है. 1980 से अब तक एक बार फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में पराजित हुए हैं, जबकि पिछली बार मखदुमपुर व इमामगंज से चुनाव लड़े, जिसमें मखदुमपुर में पराजित हुए, पर इमामगंज में उन्हें जीत हासिल हुई.
1980 से राजनीतिक मैदान पर लगा रहे हैं दौड़
पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक कैरियर की बात करें, ताे 1980 में क्लर्क की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीतिक समर में कूदे. कांग्रेस की टिकट पर 1980, 1985 व 1990 में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. 1980 व 1985 में जीतन राम मांझी चुनाव जीते, पर 1990 में राम नरेश प्रसाद से 177 वोट से पराजित हुए. पहली बार 1980 में जीते और 1983 में चंद्रशेखर सिंह सरकार में उपमंत्री बनाये गये. 1985 में बिंदेश्वरी दूबे की सरकार में नगर विकास राज्य मंत्री रहे.1991 में गया संसदीय क्षेत्र राजेश मांझी के खिलाफ लड़े और हार का मुंह देखना पड़ा. फिर 1996 में वह बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णा पासवान को मात दी.
बोधगया, बाराचट्टी व मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से जीते
2000 के चुनाव में वे क्षेत्र बदलते हुए जनता दल की टिकट पर ही बोधगया विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे मांझी ने भाजपा के कृष्णा चौधरी को पराजित किया. 2005 में पुन: बाराचट्टी विधानसभा से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े. तब उनके सामने राजद की टिकट पर पूर्व सांसद भागवती देवी की पुत्री समता देवी को पराजित किया . 2010 में क्षेत्र बदलते हुए वह मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे. उन्होंने धर्मराज पासवान को हराया और पुन: कल्याण मंत्री बनाये गये.
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भाजपा से लोकसभा चुनाव हारे, नीतीश ने बनाया सीएम
2014 में गया संसदीय क्षेत्र से जदयू की टिकट पर पुन: वे चुनावी मैदान में उतरे. भाजपा के हरि मांझी के खिलाफ चुनाव लड़े और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था और 20 मई, 2014 को नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी गद्दी पर बैठा राज्य का 23वां मुख्यमंत्री बना दिया.
अपनी पार्टी ‘हम’ से चुनावी मैदान में उतरे
2015 में मखदुमपुर व इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से अपनी पार्टी ‘हम’ से चुनावी मैदान में उतरे. मखदुमपुर विधानसभा में राजद के सूबेदार दास से पराजय का मुंह देखना पड़ा. पर, इमामगंज विधानसभा में जदयू के उदय नारायण चौधरी(बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष) को पराजित कर चुनाव जीते.