Bihar Assembly Election 2020 बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी के बीच कई चेहरों पर नजर टिकी हुई है. कई ऐसे चेहरे हैं जिन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. जेल तक गए. जेल से छूटने के बाद राजनीति में खोया रूतबा हासिल किया और बिहार की आवाज़ बन गए. इन्हीं नेताओं में शामिल हैं पप्पू यादव. उनका असली नाम है राजेश रंजन और राजनीति में लोगों ने पप्पू यादव को फेमस कर दिया. हमारी खास पेशकश में पढ़िए बिहार की राजनीति में पप्पू होने का मतलब.
राजनीति में ‘पप्पू’ जैसे शब्द को मजाकिया तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. बिहार में पप्पू नाम का मतबल जरा अलग है. बिहार में पप्पू नहीं पप्पू यादव फेमस हैं. बिहार के बाहुबली नेताओं में शुमार पप्पू यादव खुद को गरीबों का मसीहा कहते हैं. उनका जन्म 24 दिसंबर 1967 को बिहार के पूर्णिया में हुआ. समय गुजरा और पप्पू यादव का नाम और कद राजनीति में बढ़ा. 1998 में माकपा के चर्चित नेता अजीत सरकार की हत्या हुई. इसकी सीबीआई जांच में पप्पू यादव का नाम सामने आया. केस के दस साल बाद सीबीआई कोर्ट ने पप्पू यादव, राजन तिवारी और अनिल यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई.
पप्पू यादव ने 2008 से 2015 का वक्त भी जेल में बिताया. 2019 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में 31 आपराधिक केस होने की बात मानी थी. पांच साल तक जेल में रहने वाले पप्पू यादव 2013 में बाहर आए. 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद का साथ चुना. मधेपुरा से चुनाव लड़ा और लोकसभा में पहुंच गए. अगले साल पप्पू यादव को बेस्ट परफार्मिंग एमपी बताया गया. पप्पू यादव ने जेल में रहते हुए ‘द्रोहकाल का पथिक’ किताब लिखी. आज बिहार में अपनी जन अधिकार पार्टी के नाम से चुनावी मैदान में टिके हैं.
राजनीति में खास मुकाम हासिल करने वाले पप्पू यादव की लव स्टोरी बेहद दिलचस्प है. बांकीपुर जेल में बंद पप्पू यादव की बगल के मैदान में खेलने वाले एक बच्चे से दोस्ती होती है. एक दिन उस लड़के की फैमिली एलबम में पप्पू की नजर रंजीत पर पड़ी. पहली नजर में प्यार हो गया. काफी कोशिशों के बाद रंजीत मानीं. घरवाले अड़े रहे और आखिर में प्यार की जीत हो गई. 1994 में दोनों ने शादी की. रंजीत खुद जानी-मानी राजनेता हैं. 2004 में सांसद बनने वाली रंजीत रंजन 2019 का लोकसभा चुनाव हार गईं.
Posted : Abhishek.