सुपौल (अमरेंद्र) : सुपौल जिले में 05 विधानसभा सीट हैं. जहां 07 नवंबर को मतदान होगा. वर्तमान में 05 विधानसभा में से 03 सुपौल, त्रिवेणीगंज व निर्मली विधानसभा सीट पर जदयू, जबकि पिपरा में राष्ट्रीय जनता दल तथा छातापुर विधानसभा में भाजपा का कब्जा है. यहां बिहार चुनाव के तीसरे चरण के तहत चुनाव संपन्न होना है.
पूर्व के चुनावों के समीकरण के अनुसार आमतौर पर इस बार भी जिले की सभी सीटों पर एनडीए व महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर की संभावना है, लेकिन लोजपा व कई अन्य दलों के प्रत्याशियों के मुकाबले में आने से पारंपरिक वोटों में सेंधमारी से इंकार नहीं किया जा सकता. वोटों का बिखराव बड़े-बड़े दिग्गजों के चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकता है.
सुपौल विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक व जदयू प्रत्याशी बिजेंद्र प्रसाद यादव लगातार 30 वर्षों से जीतते आ रहे हैं. उन्हें पराजित करना विरोधियों के लिये चुनौती बनी हुई है. महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने यहां मिन्नत रहमानी को अपना प्रत्याशी बनाया है. क्षेत्र में इस बार कुल 11 प्रत्याशी हैं. इनमें लोजपा के प्रभाष चंद्र मंडल सहित अन्य प्रत्याशी भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में यूं तो टक्कर आमने-सामने का माना जा रहा है, लेकिन दोनों दलों के परंपरागत वोटों में अन्य दलों की सेंधमारी चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकता है.
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पिपरा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 18 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. फिलवक्त इस क्षेत्र पर राजद विधायक यदुवंश कुमार यादव का कब्जा था. हालांकि इस चुनाव में वे अपनी सीट बदल कर निर्मली विधानसभा क्षेत्र से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. राजद ने यहां विश्वमोहन कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. जदयू प्रत्याशी के रूप में रामविलास कामत
चुनाव लड़ रहे हैं. राजद प्रत्याशी श्री कुमार जदयू व भाजपा से पूर्व विधायक व सांसद रह चुके हैं. इस बार उन्होंने राजद का दामन थाम लिया है. यहां लोजपा ने शकुंतला प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. तीनों प्रत्याशी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं. ऐसे में पारंपरिक वोटों के अलावा पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की गोलबंदी प्रत्याशियों के जीत-हार का फैसला कर सकता है.
त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां पूर्व से जदयू प्रत्याशी वीणा भारती काबिज हैं. इस चुनाव में राजद ने संतोष कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. जो राजनीतिक परिवार से आते हैं. लोजपा ने रेणुलता भारती को यहां टिकट दिया है. इस चुनाव में यहां कुल 09 प्रत्याशी मैदान में हैं. क्षेत्र में चुनाव के दौरान आखिरी समय में जातीय गोलबंदी जीत-हार का कारण बनती है. स्वभाविक रूप से प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपने दल के समर्थक के साथ ही जातीय आधार पर ही वोटरों को एकजुट करने में लगे हुए हैं.
छातापुर : पारंपरिक वोटों में सेंधमारी से बिगड़ सकता है चुनावी समीकरण छातापुर विधानसभा क्षेत्र में इस चुनाव में कुल 22 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट पर भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह का कब्जा था. जिन्हें फिर भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है.
उनके विरोध में राजद की ओर से विपीन सिंह को टिकट दिया गया है. गौरतलब है कि बीते चुनाव में राजद ने यहां अल्पसंख्यक समुदाय से अपना उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन इस बार राजद ने अति पिछड़ा कार्ड खेल कर विजयी प्रत्याशी के वोटरों का समीकरण बिगाड़ने की कोशिश की है. अब देखना होगा कि परंपरागत वोटों के अलावा वे किस हद तक इस कोशिश में कामयाब होते हैं. भाजपा की सीटिंग सीट की वजह से यहां लोजपा ने अपना उम्मीदवार नहीं दिया है, लेकिन जअपा, बसपा, एनसीपी, एआइएमआइएम आदि दलों ने भी यहां अपना प्रत्याशी खड़े किये हैं. इससे क्षेत्र का चुनावी समीकरण रोचक हो गया है.
निर्मली विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. जदयू के सीटिंग विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव को पार्टी ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि राजद की ओर से पिपरा विधायक यदुवंश कुमार यादव को इस बार निर्मली सीट से राजद प्रत्याशी बनाया गया है. इन दोनों के अलावा अन्य 13 प्रत्याशी भी मैदान में हैं. जिनमें जअपा के विजय कुमार यादव व लोजपा के गौतम कुमार शेखर समेत अन्य प्रत्याशी शामिल हैं. एनडीए व महागठबंधन के अलावा कई अन्य उम्मीदवार एक ही जाति के होने के कारण जातीय समीकरण का बिखराव चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकता है. प्रमुख दलों के मतदाताओं में अन्य दलों की साझेदारी भी महत्वपूर्ण होगी. यहां भी टक्कर कांटे का माना जा रहा है.
Posted By: Sumit Kumar Verma