पटना : विधानसभा चुनाव में इस बार हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (एआइएमआइएम) और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुआई वाला ग्रुप भी अपने उम्मीदवार उतारने जा रहा है. ओवैसी की पार्टी की इच्छा महागठबंधन का हिस्सा बनने की है. महागठबंधन में जगह नहीं मिली, तो अधिक- से -अधिक सीटों पर उसके उम्मीदवार होंगे. फिलहाल उपचुनाव में उसे किशनंगज विधानसभा की सीट पर जीत मिली थी.
पिछले विधानसभा चुनाव में एमआइएम का फोकस सिर्फ सीमांचल का इलाका हुआ करता था. इस बार पूरा प्रदेश है. एआइएमआइएम प्रमुख एस ओवैसी का हाल ही में सीमांचल में दौरा तय था, लेकिन लॉकडाउन के कारण उनका दौरा टल गया है. पार्टी इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक अख्तारूल इमाम ने कहा कि हमारे संगठन का विस्तार हो रहा है.
वे कहते हैं, अभी तक हम सीमांचल में ही सीमित थे, पर, अब पूरा बिहार हमारे सामने है. इमाम कहते हैं, बिहार में एनडीए के खिलाफ बनने वाले गठबंधन में उनकी पार्टी को भी सीट मिलनी चाहिए. ऐसा हुआ तो सीटों की संख्या में कमी बेसी हो सकती है. जगह नहीं मिली, तो हमारे सामने खुला आसमां होगा. 2015 के विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम ने अपने छह उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. किशनगंज, रानीगंज, कोचाधामन, अमौर, बायसी और कटिहार जिले के बलरामपुर में उसके उम्मीदवार थे.
इधर, भाजपा से अलग होकर एकांत वास काट रहे यशवंत सिन्हा की अगुआई में एनडीए और राजद-कांग्रेस गठबंधन से इतर रहे नेताओं की टोली विधानसभा चुनाव में संभावना तलाश रही है. यशवंत सिन्हा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं, लेकिन सर्वाधिक युवा मतदाता वाले इस राज्य में वह कितने मतदाताओं को प्रभावित कर पायेंगे, यह आने वाला समय ही बतायेगा. उनके साथ चलने वाले सभी नेताओं देवेंद्र प्रसाद यादव, नागमणि, नरेंद्र सिंह, रेणु कुशवाहा आदि की अपने इलाके में खास पहचान रही है, पर चुनाव में यह कितने प्रभावी हो पायेंगे, राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय है. श्री सिन्हा बदलाव की बात कर रहे हैं, जबकि बिहार में एनडीए के खिलाफ वाले मतों का सबसे बड़ा दावेदार महागठबंधन होगा.
Posted BY: Rajat Kumar