Bihar Assembly Election 2020 इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव कोरोना संकट में हो रहा है. लिहाजा चुनाव में डिजिटल मीडियम पर जोर है. वर्चुअल रैलियों के जरिए मतदाताओं से संपर्क साधा जा रहा है. खास बात यह है कि 12 अक्टूबर से बिहार चुनाव में बड़े राजनीतिक चेहरे प्रचार शुरू कर देंगे. दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और उसके नेता चिराग पासवान पर दोहरी जिम्मेदारी है. पिछले चुनाव में जहां रामविलास पासवान ने ताबड़तोड़ सभाएं की थी. इस बार उनकी कमी जरूर खलेगी.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को होगी. कमोबेश बड़े-छोटे दलों ने चुनाव प्रचार शुरू करने की बात कही है. 2015 के विधानसभा चुनाव को देखें तो उसमें हाई प्रोफाइल चेहरे ने भी जनता से वोट मांगे थे. करीब 1,300 से ज्यादा चुनावी सभाएं भी हुई थीं. अगर लोजपा नेता रामविलास पासवान की बात करें तो उन्होंने 132 से ज्यादा चुनावी सभाएं की थी. इसका ज्यादा लाभ तो पार्टी को नहीं मिला था. खास बात यह है पार्टी का वोट बैंक जरूर रामविलास पासवान के साथ होने की बात कही गई.
चुनाव के ठीक पहले रामविलास पासवान का निधन चिराग पासवान के लिए बड़ी चुनौती लेकर आया है. पिता की अनुपस्थिति में चिराग पासवान के लिए बिहार चुनाव में लोजपा को संभालना और ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ नारे को हकीकत में तब्दील करना इतना आसान भी नहीं है. रामविलास पासवान ने बिहार से अपनी जमीन मजबूत की और दिल्ली की सत्ता में अपनी धमक साबित की. आज चिराग अकेले हैं. उनके साथ लोजपा है और ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा, जिसे उन्होंने चुनाव के पहले दिया था.