Bihar Assembly Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार का दिन काफी मायने रखता है. इसी दिन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया. उनके गुजरने के बाद बिहार चुनाव में अपने दम पर उतरी लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के लिए किले को मजबूत रखना किसी परीक्षा से कम नहीं. रामविलास पासवान के पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के सामने पिता के गुजरने के बाद खाली हुई जगह को भरने की चुनौती भी है. पिता के निधन पर चिराग पासवान ने ट्वीट किया और दिल की बात कही. शायद चिराग पासवान को रामविलास पासवान होने का मतलब बखूबी पता था.
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
दरअसल, बिहार में लोजपा नेता चिराग पासवान ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था. चिराग को उम्मीद थी कि पिता रामविलास पासवान के अनुभव और दलित वोटबैंक पर पकड़ का फायदा चुनाव में मिलेगा. अब, चिराग पासवान को बिहार चुनाव में खुद के भरोसे से लोजपा के किले को मजबूत करना होगा. अगर चिराग पासवान की राजनीति को देखें तो उन्होंने जेडीयू का विरोध किया और बीजेपी का साथ देते रहे. आज भी लोजपा पीएम मोदी के नाम के इस्तेमाल पर अड़ी है. जबकि, एनडीए में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी ने ऐसा नहीं करने की चेतावनी दे डाली है. माना जाता है केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में ‘पासवान जाति’ का एकजुट वोट लोजपा के खाते में आ सकता है.
रामविलास पासवान सुलझे राजनेता रहे. यही कारण रहा कि गिरती सेहत को देखते हुए चिराग के हाथ में लोजपा की कमान दी. चिराग ने पिता की सलाह पर खुद को स्थापित करना शुरू किया. बिहार में लोजपा के खोए वजूद को वापस लाने के मकसद से ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया. खुद ट्विटर पर ‘युवा बिहारी चिराग पासवान’ बन गए. चिराग को बिहार के संभावित मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाने लगा. बड़ी बात यह है कि रामविलास पासवान के हाथ में पर्याप्त अनुभव और दलित वोटबैंक होने के बावजूद बिहार की सत्ता नहीं लगी थी. शायद चिराग पासवान लोजपा के जरिए उस सपने को पाना चाहते हैं.
बिहार के सियासी समीकरण को देखें तो लोजपा के लिए चुनाव की राह इतनी आसान नहीं है. चिराग पासवान के साथ पिता रामविलास पासवान का ना होना किसी झटके से कम नहीं है. यह लोजपा की किलेबंदी को कमजोर ही करेगा. रामविलास पासवान ने लोजपा की स्थापना की. अपने वोटबैंक को लोजपा से जोड़कर रखने की हरसंभव कोशिश की. केंद्र सरकार में प्रभावी भूमिका निभाई. उनका निधन चिराग पासवान के साथ ही लोजपा के लिए मंथन का मौका है. लगातार बनते-बिगड़ते बिहार के सियासी समीकरण में चिराग के लिए लोजपा के साथ ही खुद के कुनबे को मजबूत रखना ही असली परीक्षा है.