बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राजधानी पटना से करीब 55 किमी दूर स्थित पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला बहुत ही रोचक रहा. एनडीए और महागठबंधन की सीधी लड़ाई को लोजपा त्रिकोणीय बनाने में सफल रही. स्थानीय मुद्दे मतदान के समय पीछे छूट गये. सीएम कौन बनेगा, सरकार रहेगी या जायेगी, जैसी बातें वोटरों के जेहन में रहीं.
मतदान का 49.03 प्रतिशत होना भी शहरी वोट बैंक वाले उम्मीदवारों को थोड़ी चिंता में डाल रहा है. पौने तीन लाख वोटर वाले इस विधानसभा क्षेत्र में 25 उम्मीदवार मैदान में थे. पिछले चुनाव में राजद के टिकट पर विधायक बने जयवर्धन यादव (बच्चा बाबू) जदयू के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं. महागठबंधन से भाकपा माले के संदीप सौरव हैं. भाजपा की पूर्व विधायक और मानवाधिकार आयोग की सदस्य डॉ उषा विद्यार्थी लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. अधिकांश बूथों पर आधा दर्जन एजेंट नहीं दिखे.
मतदान के दौरान सूरज से अधिक चुनावी दपिश दिखी. पालीगंज के मुख्य चौराहा पर महावीर मंदिर पर लोग भगवान को प्रणाम कर चुनावी बहस कर रहे थे. बुधवार की दोपहरी को वाहनों से अधिक वोटरों का शोर था. राजद से टिकट न मिलने से नाराज सुनील यादव निर्दलीय लड़ रहे हैं, उनको जो वोट मिलेगा उससे महागठबंधन को नुकसान होगा. वहीं कुछ किमी दूर उलार्क सूर्य मंदिर के अवध बिहारी दास महाराज राजनीति के गिरते स्तर से चिंतित थे.
Also Read: Bihar election first phase: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान से ठीक पहले मिले IED बम, फिर भी कम नहीं हुआ मतदाताओं का उत्साह
उर्दू प्राथमिक विद्यालय बेल्हौरी मतदान केंद्र बहुत ही संकरा था. सुपर जोनल मजिस्ट्रेट पंकज पटेल निरीक्षण पर थे. 970 वोटरों वाले इस बूथ पर नौ बजे तक 12.37 फीसदी वोट पड़े थे. बूथ नंबर 39 पर 90 पुरुष और 22 महिला वोट कर चुकी थी. यहां केवल चार पोलिंग एजेंट थे. बूथ से करीब 300 मीटर दूर मुस्लिम मतदाताओं के समूह से चुनावी चर्चा में उनकी सरकार से नाराजगी प्रकट हो गयी. पेंटर अलाउद्दीन अंसारी, दर्जी आस मोहम्मद के बीच दलों द्वारा नौकरी का वादा किये जाने को लेकर तीखी बहस चल रही थी. पोलीटेक्निक कर चुके शमशाद कहते हैं कि सरकार तो पहले इंटर- बीए कराती है, फिर घर बैठा देती है.
पालीगंज में किसी भी क्षेत्र में उम्मीदवार विशेष की लहर नहीं दिखी. मध्य विद्यालय लाला भदसारा आदर्श मतदान केंद्र था. यहां जीविका के 14 समूह का संचालन करने वाली ममता दीदियों को साथ वोट देने पहुंची थी़ वह कहती हैं कि दिन भर जीविका में खटते हैं. सरकार को अब हमारी चिंता करनी चाहिए. मनरेगा जितनी मजदूरी तो मिलनी ही चाहिए. बूथ के ठीक सामने उर्मिला- मंजू देवी कपड़े धो रही थी. गांव के दूसरे छोर पर इनका घर है लेकिन पानी यहीं मिलता है. वह कहती हैं वोट दे आये हैं, क्या गरीब का दुख नहीं बूझेगी सरकार.
Posted by: Thakur Shaktilochan