पटना: बिहार में मुख्य विपक्षी दल की भुमिका निभा रही राजद की मुश्किलें रोज बढ़ती ही जा रही हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता पार्टी छोड़ चुके है. उनमें कई विधायक और एमएलसी भी शामिल हैं. जिन्होंने चुनाव के पहले दल को छोड़ अपना पाला बदल लिया है. राजद के 12 बड़े नेताओं ने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया है.
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 70 दिनों के अंदर 12 एमएलए और एमएलसी ने राजद छोड़ जदयू का साथ पकड़ लिया है. पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से सामंजस्य बैठाने में नहीं बैठ रहा. राजद की कमान अब तेजस्वी यादव के हाथों में है.लेकिन उनके द्वारा पार्टी का नेतृत्व करने का तरीका वैसा नहीं है जैसा कभी लालू प्रसाद यादव के द्वारा होता था.
राजद से जुड़े कुछ नेताओं की मानें तो आज भी कार्यकर्ता अपनी बातों को रखने लालू प्रसाद के पास ही जाते हैं. उन्हें आज भी लालू यादव के पास ही अपनी समस्याओं का समाधान दिखता है. वहीं पार्टी को छोड़ने वाले कई नेताओं ने भी नेतृत्व की खामियों का ही हवाला दिया है.
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हाल में राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी पद त्याग दिया था. लेकिन उन्हें मनाने की कोई ठोस पहल तेजस्वी के तरफ से नहीं हुई. साथ ही एक हकीकत सामने आई कि लालू प्रसाद यादव के समय से पार्टी के दिग्गज रहे नेताओं को अब अंदर तालमेल बैठाने में कठिनाई होने लगी है.
तेजस्वी के द्वारा नेतृत्व की व्यवस्था को लचर बताते हुए महागठबंधन में भी दरार हुई. हाल में ही बिहार के पुर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपने दल को महागठबंधन अलग कर लिया. जिसके बाद उन्होंने तेजस्वी के उपर आरोपों की बौछार कर दी और कहा कि उन्हें बार-बार नजरंदाज किया गया.गौरतलब है कि मांझी और कुशवाहा लगातार दिल्ली का चक्कर काटते रहे लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली गई.
राजद के एमएलसी जब दल से अलग हो रहे थे तब भी तेजस्वी का एक बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव के मौसम में यह आम बात है. नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. वहीं इसके ठीक विपरीत लालू यादव अपने सभी नेताओं को एकसूत्र में पिरोए रहते थे. जिसके कारण लगाव हमेसा कायम रहता था.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya