पटना : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जारी घमासान के बीच गठबंधन और महागठबंधन की खूब बातें हो रही हैं. इसी बीच कई ऐसे मोर्चे बन गए हैं, जिनका चुनाव में बड़ा उलटफेर का दावा है. इनके मुताबिक चुनाव में मोर्चे भी गणित बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं. खास बात यह है जितने भी मोर्चे बने हैं, उनके पास कुछ खास जनाधार नहीं हैं. दावा है वो वोटबैंक में सेंधमारी करके अपने मतलब की गोटी जरूर फिट कर सकते हैं. बड़े दलों को चुनौती भी दे सकते हैं.
बिहार में चुनाव से पहले दो बड़े गठबंधन के अलावा कई मोर्चे बने हैं. इसमें पूर्व सांसद पप्पू यादव के नेतृत्व में बना प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन भी शामिल है. इसमें उत्तरप्रदेश में अनुसूचित जाति की राजनीति करने वाले चंद्रशेखर आजाद शामिल हैं. माना जाता है चंद्रशेखर आजाद की पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों पर पकड़ है. बिहार की राजनीति में उनका प्रदर्शन कितना असरदार होगा यह आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल जीत के दावे जारी हैं.
बिहार में हमेशा जाति आधारित राजनीति होती रही है. राजद के लिए यादव वोट बैंक हमेशा से खास रहा है. प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन राजद के वोट बैंक में सेंधमारी की फिराक में है. वहीं, रालोसपा ने बसपा के साथ मोर्चा बनाया है. रालोसपा कुशवाहा वोट बैंक के दबदबे से खुद के जीत के दावे कर रही है. इनके वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा बिहार के सीएम नीतीश कुमार का समर्थक रहा है. लिहाजा मोर्चे को खुद के वोट बैंक को बचाने में मेहनत करनी होगी.
सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. इसको लेकर भी कई मायने निकल रहे हैं. दरअसल, सुशांत केस को लेकर खूब हंगामा हुआ था. मुंबई से लेकर बिहार तक काफी बयानबाजी देखने को मिली थी. केस को सीबीआई जांच तक पहुंचाने में बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की खास भूमिका थी. अब गुप्तेश्वर पांडेय जेडीयू में शामिल हो चुके हैं. फिलहाल, बिहार में राजनीति के साथ बयानबाजी भी जारी है.
Posted : Abhishek.