पटना : बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या भले ही 243 रही हो, इन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों की होड़ होती है. बिहार विधानसभा के 2015 में हुए चुनाव में 157 दलों ने अपने प्रत्याशियों को उतारा था. इन दलों में राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त, राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त, दूसरे राज्यों में मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त निबंधित राजनीतिक दल शामिल थे. इनके अलावा निर्दलयी प्रत्याशियों ने भी अपनी किस्तम की आजमाइश की थी. इस बार भी अक्तूबर-नवंबर महीने में चुनाव के आसार हैं. ऐसे में चुनाव में भाग लेने वाले दलों की संख्या को लेकर अभी से अंदाज लगाया जा रहा है.
पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने की दिलचस्प बातें सामने निकली हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 3450 प्रत्याशियों ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में किस्मत की आजमाइश की थी. इनमें 3177 पुरुष प्रत्याशी और 273 महिला प्रत्याशी शामिल थे. जब चुनावी नतीजे आये तो जनता ने 243 प्रत्याशियों को विधानसभा पहुंचा दिया. इसके साथ ही प्रत्याशियों को दो प्रकार से पराजय को देखना पड़ा. राज्य के मतदाताओं ने अधिसंख्या प्रत्याशियों में साहस भरने का काम भी नहीं किया.
मतदाताओं ने राज्य की 243 विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी ताल ठोकेनेवाले 2935 प्रत्याशियों को जमानत बचाने भर का वोट भी नहीं दिया. नतीजा रहा कि 2935 प्रत्याशियों ने नामांकन के समय जो जमानत की राशि जमा की थी वह सरकार के खजाने में चली गयी. जिन्होंने जमानत की राशि गंवाई उनमें 2714 पुरुष प्रत्याशी और 221 महिला प्रत्याशी शामिल थे. इसके अलावा विधानसभा चुनाव को गंभीरता से नहीं लेनेवाले प्रत्याशियों को भारत निर्वाचन आयोग ने भी सबक सीखाया. विधानसभा चुनाव के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने 89 प्रत्याशियों को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध लगा दिया.