अंजनी, सबौर : सबौर को जोड़ने वाले सभी ग्रामीण पथों का हाल बेहाल है. एनएच 80 की स्थिति ग्रामीण पथों से भी बदतर है. आम लोग चंद मिनट की दूरी घंटों में तय कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. कभी-कभी गंतव्य तक पहुंचने में सुबह से शाम हो जाती है. एनएच 80 पर चलते वाहन से उड़ने वाली धूल से कई लोग सांस की बीमारी से पीड़ित हो गये हैं. इस बार चुनाव में ग्रामीण पथ व एनएच 80 चुनावी मुद्दा बनेगा.
कहलगांव व नाथनगर विधानसभा को जोड़ने वाला सबौर-जमसी पथ आवागमन के दृष्टिकोण से कई मायनों में महत्वपूर्ण है. एनएच 80 सहित भागलपुर गोराडीह पथ पर जाम लगने से यह पथ एकमात्र विकल्प है, जिससे आवागमन हो सके. हालात यह है कि वाहन तो दूर पैदल चलना दुर्लभ है. जमसी पुल के पास से ललमटिया पुल के बीच जगह-जगह पीसीसी टूट कर बिखर गयी है. पथ पर बने पुल-पुलिया भी खस्ता हाल है. जो कभी भी ढह सकता है. आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरधो मोड़ से चांदनी चौक, सरधो भिट्ठी पथ सहित अन्य पथ की स्थिति जर्जर है.
राजपुर-मुरहन पथ पर पूल और पथ अब तक पूर्ण नहीं हो सका है. पथ बनने के बाद लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांवों को राहत मिलती और क्षेत्र का विकास होता. बाढ़ के समय इससे जुड़े गांव टापू बन जाते हैं. बीमार, गर्भवती महिला को इलाज कराने के लिए खाट बगैरह पर लिटा एनएच पर जाते हैं. स्थानीय लोग कई बार पथ और पुल के लिए आंदोलन कर चुके हैं पथ नहीं रहने से क्षेत्र का विकास बाधित होने की बात ग्रामीण बता रहे हैं . लंबी दूरी होने से ज्यादा किराया वसूल किया जाता है.
सबौर दक्षिणी क्षेत्र का एनएच 80 से जुड़ाव नहीं है. गोपालपुर से लैलख तक के बीच में केवल सबौर रेलवे स्टेशन पर केविन फाटक बना है. मंसरपुर सबौर सहित लैलख के पास समपार बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, ताकि दक्षिणी क्षेत्र के लोगों का आवागमन में रेलवे लाइन बाधा न बने. मौजूदा समय में लोग रेलवे लाइन पार कर यात्रा कर रहे हैं और दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. कहलगांव व नाथनगर विधान सभा की जनता विकास करने वाले को ही मतदान करेंगे.
Posted By Ashish Jha