उस बाहुबली की कहानी जिसमें लालू यादव का विकल्प देखा गया, आज जेल की सजा काट रहा है…
बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं की दखल पुरानी रही है. कई दशकों से बिहार की राजनीति में दबंगों और नेताओं के बीच गहरा रिश्ता रहा है. बिहार की राजनीति में कुछ चुनिंदा बाहुबली नेताओं के बारे में हम आपको बताएंगे. उनके राजनीतिक सफर से लेकर आज के हालात की जानकारी भी देंगे. हमारी आज की पेशकश में पढ़िए सहरसा के उस बाहुबली की कहानी, जिसे कभी लालू प्रसाद यादव के विकल्प के रूप में देखा जाता था. आज वो बाहुबली नेता एक डीएम की हत्या के आरोप में जेल में है.
पटना : बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं की दखल पुरानी रही है. कई दशकों से बिहार की राजनीति में दबंगों और नेताओं के बीच गहरा रिश्ता रहा है. बिहार की राजनीति में कुछ चुनिंदा बाहुबली नेताओं के बारे में हम आपको बताएंगे. उनके राजनीतिक सफर से लेकर उनके आज के हालात की जानकारी देंगे. हमारी आज की पेशकश में पढ़िए उस बाहुबली नेता की कहानी, जिसे कभी बिहार में लालू प्रसाद यादव के विकल्प के रूप में देखा जाता था. आज वो बाहुबली नेता एक डीएम की हत्या के आरोप में जेल में है.
बदलती राजनीति के एक बड़े बाहुबली नेता
बिहार में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो चुकी है. चुनाव की बात चलती है तो सहरसा जिला अचानक आंखों के सामने आ जाता है. सहरसा जिला एक बाहुबली नेता के लिए काफी फेमस है. उसका नाम है : आनंद मोहन सिंह. सहरसा के पनगछिया गांव में 26 जनवरी 1956 को पैदा हुए आनंद मोहन सिंह ने राजनीतिक करियर की शुरुआत जेपी आंदोलन से की. वक्त गुजरा और आनंद मोहन सिंह बाहुबली नेता के रूप में उभरे. आनंद मोहन की राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से भी जान-पहचान रही है.
1983 में जेल और 1990 में जीता था चुनाव
बिहार में 80 के दशक में नए किस्म की राजनीति शुरू हुई. इसी समय आनंद मोहन सिंह की राजनीतिक गलियारे में बाहुबली नेता के रूप में धमक बढ़ी. उन पर कई मामले दर्ज हुए. 1983 में पहली बार जेल की सजा काटी. 1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरे और 60 हजार से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की. मंडल कमीशन का विरोध करते हुए आनंद मोहन ने 1993 में जनता दल से रिश्ता तोड़ लिया. अब, आनंद मोहन सिंह ने अपनी पार्टी ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ का ऐलान कर दिया.
जब चला डीएम कृष्णैया की हत्या का केस
आनंद मोहन की मुजफ्फरपुर के एक नेता छोटन शुक्ला से काफी अच्छी बनती थी. 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या हो गई. आनंद मोहन उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे. छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के बीच से गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की गाड़ी गुजरी. इसी दौरान भीड़ ने आपा खो दिया और डीएम कृष्णैया का पीट-पीटकर हत्या कर दी. हत्या का आरोप आनंद मोहन पर लगा. कोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई. देश में पहला मौका था जब किसी पूर्व सांसद और विधायक को मौत की सजा सुनाई गई हो. 2008 में पटना हाईकोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. आज आनंद मोहन जेल की सजा काट रहे हैं.
जेल में रहते हुए चुनाव जीतने वाले बाहुबली
आनंद मोहन जेल में थे और 1996 का लोकसभा चुनाव हुआ. आनंद मोहन ने जेल में रहते हुए समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से चुनाव लड़ा और 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की. 1998 में राजद के टिकट पर आनंद मोहन ने लोकसभा का चुनाव जीता. हालांकि, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में आनंद मोहन को जीत नहीं मिली. आनंद मोहन में 1991 में लवली सिंह से शादी की. 1994 में वैशाली लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में लवली सिंह ने जीत दर्ज की. आनंद मोहन के बढ़ते रूतबे से दूसरे दलों के बड़े नेताओं की चिंता बढ़ चुकी थी. हालांकि, लगातार पार्टी बदलने से उनका कद जरूर घट रहा था.
लगातार हार से नहीं उबर सकीं लवली आनंद
खास बात यह है कि लवली सिंह (लवली आनंद) 2009 के बाद हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार को जीत में तब्दील नहीं कर सकीं. उनकी हार का सिलसिला लगातार जारी रहा. इस बीच उन्होंने कई पार्टियां भी बदली. लेकिन, हार को जीत में बदलना दूर की कौड़ी साबित होती रही. अब, बिहार में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इस ऐलान के बाद लवली आनंद ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया है. माना जा रहा है कि लवली आनंद को शिवहर सीट से विधानसभा चुनाव का टिकट मिल सकता है.
Posted : Abhishek.