Bihar Election 2020: प्रशांत किशोर के इशारे पर ‘अकेले’ चल रहे चिराग, PK की खामोशी से बढ़ी राजनीतिक दलों की बेचैनी !
Bihar Assembly Election 2020, Prashant Kishor: Bihar में चुनावी शोरगुल के बीच एक शख्स की खामोशी नोटिस की जा रही है. विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chuanv) की तारीखों के ऐलान के ठीक पहले ‘बात बिहार की’ (Baat Bihar Ki) करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) कहां हैं? यह सवाल करीब-करीब हर किसी की जुबां पर हैं. 2015 के चुनाव के बाद जेडीयू (JDU) के उपाध्यक्ष बनने तक प्रशांत किशोर का नाम बिहार से लेकर देश में सुर्खियां बटोरने लगा था. आज बिहार में जारी चुनावी शोरगुल के बीच प्रशांत किशोर खामोश हैं.
Bihar Election 2020, Prashat Kishor News: बिहार में चुनावी शोरगुल के बीच एक शख्स की खामोशी नोटिस की जा रही है. विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक पहले ‘बात बिहार की’ करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहां हैं? यह सवाल करीब-करीब हर किसी की जुबां पर है. 2015 के बिहार चुनाव के बाद जेडीयू के उपाध्यक्ष बनने तक प्रशांत किशोर का नाम बिहार से लेकर देश में सुर्खियां बटोरने लगा था. आज बिहार में जारी चुनावी शोरगुल के बीच प्रशांत किशोर खामोश हैं. बिहार इलेक्शन 2020 लाइव न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
छोटे दलों से प्रशांत किशोर का जुड़ाव !
कोरोना संकट में बिहार का चुनाव डिजिटल एज में लड़ा जा रहा है. सोशल से ज्यादा वर्चुअल प्रचार पर जोर है. प्रशांत किशोर ने बीजेपी से लेकर कई पार्टियों के लिए काम किया और उनको सत्ता तक पहुंचाया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल कैंपेन के महारथी प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में कैमरे के सामने नहीं, कैमरे के पीछे कमाल करने में जुटे हैं. कई छोटे दलों के नेताओं से उनकी बातचीत हो रही है. माना जाता है बिहार में प्रशांत किशोर रालोसपा और लोजपा जैसे दलों के संपर्क में हैं.
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चिराग मान रहे प्रशांत किशोर की सलाह?
रिपोर्ट में दावा है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के एनडीए से बाहर आने के फैसले के पीछे प्रशांत किशोर की रणनीति काम कर रही है. यही वजह है कि खुद को साबित करने के लिए चिराग पासवान ने बिहार में ‘एकला चलो’ का फैसला लिया. चिराग पासवान ने एनडीए से बाहर जाने की वजह सीएम नीतीश कुमार को बताया. चिराग पासवान के मुताबिक बिहार में सीएम नीतीश कुमार का नेतृत्व मंजूर नहीं है. हालांकि, लोजपा की तरफ से ऐसे कयासों को सिरे से खारिज किया गया है.
‘बात बिहार की’ का मकसद फ्लॉप हो गया?
अनुशासनहीनता के आरोप में जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद प्रशांत किशोर शांत नहीं बैठे थे. उस समय प्रशांत किशोर ने बिहार के लिए कुछ करने का वादा किया था. इसके लिए प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ मंच की शुरुआत की थी.
अपने गैर-राजनीतिक मंच से प्रशांत किशोर बिहार में जमीनी स्तर के नेतृत्व को खड़ा करने की फिराक में थे. चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले प्रशांत किशोर कई बयान देते रहे. आज बिहार में चुनावी खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है और वो खामोश हैं.
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ऐसे घटता गया प्रशांत का राजनीतिक कद
2015 के बिहार चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर का कद बढ़ाने का फैसला लिया. उन्हें जेडीयू का उपाध्यक्ष बनाया गया. जेडीयू में अध्यक्ष के बाद उन्हें दूसरा सबसे बड़ा उपाध्यक्ष पद मिला. बाद में राजनीति ऐसी बदली कि पार्टी ने प्रशांत को बाहर का रास्ता दिखा दिया.
आज कई पार्टियों को सत्ता में एंट्री दिलाने वाले प्रशांत किशोर खामोश हैं. उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी हलचल नहीं है. हालांकि, करीब 20 लाख फॉलोअर्स वाले डिजिटल मंच ‘बात बिहार की’ पर सभी पार्टियों की नजर जरूर है.
Posted : Abhishek.