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Bihar Election 2020 : बिहार में सबसे अधिक नौ बार जीतने वाले नेता, 40 साल विधायक तो 20 साल मंत्री रहने के बाद फिर लड़ेंगे इस साल चुनाव, जानें किस दल से है नाता…

Bihar Election 2020 मुजफ्फरपुर: रमई राम ने बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक नौ बार जीत दर्ज की है. इतना ही नहीं, वह करीब 20 साल तक राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में मंत्री भी रहे. इस लिहाज से वह संभवत: बिहार विधानसभा में अबतक सबसे अधिक समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं. वह मुजफ्फरपुर के बोचहां (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं. अब दसवीं बार वह विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं.

मुजफ्फरपुर: रमई राम ने बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक नौ बार जीत दर्ज की है. इतना ही नहीं, वह करीब 20 साल तक राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में मंत्री भी रहे. इस लिहाज से वह संभवत: बिहार विधानसभा में अबतक सबसे अधिक समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं. वह मुजफ्फरपुर के बोचहां (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं. अब दसवीं बार वह विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं.

वार्ड के चुनाव से की राजनीतिक पारी की शुरुआत

रमई राम ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1969 में वार्ड पार्षद के चुनाव से की थी. तब उन्होंने मुजफ्फरपुर नगरपालिका के चुनाव में वार्ड 13 से चुनाव लड़ा और राम संजीवन ठाकुर (स्वतंत्रता सेनानी) को पराजित किया. 1972 के विधानसभा चुनाव में बोचहां (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़े और विजयी भी हुए. हालांकि, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार कमल पासवान से पराजित हो गये. इसके बाद 1980, 1985, 1990, 1995, 2000, 2005 के फरवरी व 2005 के अक्तूबर और 2010 के विधानसभा चुनाव में बोचहां विधानसभा से चुनाव लड़े और विजयी हुए.

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कई पार्टियों में रहे

अब तक के अपने राजनीतिक जीवन में रमई राम ने समय – समय पर पार्टियां भी खूब बदलीं. 1980 का चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर लड़े और विजयी हुए. फिर 1985 में लोकदल, तो 1990 और 1995 में जनता दल से चुनाव लड़े. वर्ष 2000 और वर्ष 2005 के फरवरी व अक्तूबर के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल से लड़े. 2010 में रमई राम ने जदयू का दामन थामा और जदयू के टिकट पर ही विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. 2009 के लोकसभा चुनाव में रमई राम राजद के टिकट पर हाजीपुर से लड़ना चाह रहे थे, लेकिन राजद ने उन्हें टिकट नहीं दिया. वे कांग्रेस के टिकट पर गोपालगंज से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव जीत नहीं पाये .दूसरे दल से लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण उन्हें विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ा था. इस कारण बोचहां विधानसभा सीट उस समय खाली हो गयी. 2009 के ही सितंबर माह में फिर से बोचहां विधानसभा का चुनाव हुआ जिसमें रमई राम जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन राजद प्रत्याशी मुसाफिर पासवान से वे चुनाव हार गये. लेकिन छह माह बाद हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में वे मुसाफिर पासवान को हराकर फिर से बोचहां से चुनाव जीत गये.

2015 के विधानसभा चुनाव में रमई राम फिर राजद- जदयू गठबंधन प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े. इधर, एनडीए से लोजपा ने बेबी कुमारी को लड़ाने का फैसला किया,लेकिन अंतिम क्षण में लोजपा ने बेबी कुमारी को दरकिनार कर अनिल साधु को अपना उम्मीदवार बना दिया. बेबी कुमारी भी निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़ीं. इस चुनाव में बेबी कुमारी ने रमई राम को हरा दिया.

न्यायपालिका में आरक्षण का उठाया था मुद्दा

रमई राम ने न्यायपालिका में आरक्षण लागू किये जाने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया था. 1995 से वर्ष 2000 तक मुजफ्फरपुर व पटना से लेकर दिल्ली तक इसको लेकर आवाज उठाई थी. दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना- प्रर्दशन भी किया था.

बिहार में सबसे अधिक बार जीत हमारी हुई : रमई राम

पूर्व मंत्री रमई राम का कहना है कि वह 40 साल विधायक और 20 साल मंत्री रहे हैं. बिहार में इतने अधिक समय तक मंत्री व विधायक अब तक कोई भी नहीं रहे. यह सौभाग्य मुझे ही प्राप्त हुआ है. बिहार में सभी विधायकों से अधिक पेंशन भी मुझे ही मिलती है. उन्होंने कहा कि आने वाला विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे और जीतेंगे. पूर्व मंत्री ने बताया कि हमने अपने कार्यकाल में 300 से अधिक सड़कें, 40 से अधिक पुल के निर्माण करवाये. 2000 से अधिक परिवारों को घर के लिए जमीन उपलब्ध कराये.

( रवींद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट )

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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