राजदेव पांडेय, पटना: राजद में उन विधायकों के टिकट कट सकते हैं, जिन्होंने पोलिंग बूथ कमेटियों के गठन में लापरवाही बरती है. हालात ये हैं कि अभी करीब 10 फीसदी विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां अभी तक बूथ कमेटियों का गठन नहीं हो सका है. राजद हाइकमान ने लगभग तय कर लिया है कि ऐसे अक्षम विधायकों को टिकट नहीं दिये जायें, जो बूथ मैनेजमेंट करने में अक्षम हैं या रुचि नहीं ले रहे हैं. इस तरह 22 से 26 विधायकों की दावेदारी पर गाज गिर सकती है.
राजद सूत्रों के मुताबिक बूथ कमेटियों के गठन पर पार्टी कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि पार्टी आलाकमान मसलन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह प्रतिदिन इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं. इसलिए कोई भी विधायक यह दावा नहीं कर सकता है कि उसकी अक्षमता की रिपोर्ट गलत है. छोटे -बड़े 105523 से अधिक बूथों में से 80 हजार से अधिक बूथों पर समितियों का गठन किया जा चुका है.
राजद का पूरा फोकस बूथ मैनेजमेंट पर है. पार्टी ने माना है कि अगर 2015 के चुनाव में बूथ मैनेजमेंट अच्छा होता तो वह अकेले भी सरकार बना सकती थी. यह सारी बातें राजद की उच्चस्तरीय समीक्षा के बाद सामने आयीं थीं. फिलहाल जिन बूथों पर कमेटी गठित करने में विधायकों ने रुचि नहीं ली है या उसमें अक्षम साबित हुए हैं, वहां यह जवाबदेही जिला अध्यक्षों को दी गयी है.
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राजद आलाकमान इस बार सामाजिक तौर पर विवादास्पद छवि रखने वाले लोगों को संभवत: उम्मीदवार न बनाये. पार्टी में इस बात को लेकर खासा मंथन चल रहा है. दरअसल पार्टी मान रही है कि कानूनी तौर पर विवादास्पद प्रत्याशी पार्टी की छवि को इतना नुकसान नहीं पहुंचायेगा, जितना कि सामाजिक तौर पर विवादास्पद व्यक्ति पहुंचा सकता है.
दलों के लिए आज के चुनाव में बूथ मैनेजमेंट इसलिए भी जरूरी हो गया है कि अधिकतर वोटर स्व प्रेरणा से वोट डालने नहीं जा रहा है. दलों के कार्यक्रम और घोषणा पत्र और प्रत्याशी की छवि उसे पोलिंग बूथ तक लाने में अक्षम दिख रही है.
Published by : Thakur Shaktilochan Sandilya