Bihar election 2020 : नालंदा में इस बार बदले अंदाज में होगा चुनावी मुकाबला

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में इस बार विधानसभा के चुनाव में रोचक मुकाबला होने वाला है. पिछली बार जिले की सात सीटों में एक पर राजद का भी कब्जा रहा था,जबकि खिलाफ में रही भाजपा भी एक सीट पर काबिज हुई थी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 24, 2020 3:12 AM

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में इस बार विधानसभा के चुनाव में रोचक मुकाबला होने वाला है. पिछली बार जिले की सात सीटों में एक पर राजद का भी कब्जा रहा था,जबकि खिलाफ में रही भाजपा भी एक सीट पर काबिज हुई थी. भाजपा को अपने पारंपरिक सीट राजगीर का नुकसान उठाना पड़ा था. इस बार मुकाबला बदले अंदाज में होने वाला है. एनडीए में इस बार जदयू बड़ी पार्टी है और महागठगंधन की कमान राजद के पास है.

राजद के अब तक छह विधायक जदयू में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में राजद के सामने नालंदा जिले की एकमात्र सीट हिलसा पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है. वहीं, जदयू हर हाल में इस सीट पर कब्जे की कोशिश करेगा. पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने यहां की पांच सीटें जीती थीं.

नालंदा है अहम : नालंदा में चाहे लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव, यहां के मतदाताओं के समक्ष चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ही होता है. 2015 और 2010 के विधानसभा चुनाव में भी यह असर साफ दिखा. जिले की नालंदा, हरनौत, राजगीर,अस्थावां और इसलामपुर में जदयू, बिहारशरीफ में भाजपा एवं हिलसा में राजद के विधायक हैं. नालंदा विधानसभा सीट पर नीतीश सरकार में वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार छह बार से चुनाव जीत रहे हैं. इस बार सातवीं बार विधानसभा पहुंचने के लिए वो चुनाव मैदान में उतरेंगे. हरनौत विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक कैरियर शुरू हुआ था.

बिहारशरीफ की सीट पर पिछली बार भाजपा से डॉक्टर सुनील कुमार ने जीत हासिल की थी. डाॅ सुनील इसके पहले 2010 में जदयू के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2015 में जब नीतीश ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा तो वे भाजपा में शामिल हो गये और जीत भी हासिल की. राजगीर विधानसभा क्षेत्र की सीट पर सात बार भाजपा के प्रत्याशी और वर्तमान में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य का कब्जा रहा है, लेकिन 2015 में बिहार पुलिस में दारोगा की नौकरी छोड़कर जदयू के रवि ज्योति ने उन्हें शिकस्त दी थी.

2015 चुनाव में जीत का अंतर करीब 6 हजार वोटों का रहा था. अस्थावां विधानसभा क्षेत्र से जदयू के प्रत्याशी जितेंद्र कुमार लगातार चार बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. यहां से उनके पिता अयोध्या प्रसाद भी एक बार विधायक रह चुके हैं. मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के नाते अस्थावां जदयू का सबसे सुरक्षित सीट माना जाता है. हिलसा में 1990 में यहां से भाकपा माले के केडी यादव चुनाव जीते थे, लेकिन कुछ वक्त बाद ही वो राजद में चले गये. तब से इस विधानसभा सीट पर राजद का कब्जा रहा और पार्टी के बैजू यादव कई बार चुनाव जीते. जदयू का भी इस सीट पर दो बार कब्जा रहा है.

posted by ashish jha

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