Bihar Election 2020 : इस बार भी पुरुष वोटर दिखेंगे कम, महिलाएं फिर रहेंगी आगे

Bihar Vidhan Sabha Chunav Date 2020 : श्रम संसाधन विभाग व सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लगभग 25 लाख से अधिक मजदूर बिहार लौटे थे.

By Prabhat Khabar News Desk | October 7, 2020 7:18 AM

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव कोरोना काल में होगा. चुनाव से पूर्व ही दूसरे राज्यों में काम करने वाले मजदूरों भूख और काम बंद होने के कारण राज्य में वापस लौटे थे, लेकिन चुनावी बिगुल बजने के बाद दोबारा से वैसे मजदूर को दूसरे राज्यों में वापस ले जाया जा रहा है, जहां से वह लौटे थे.

ऐसे में चुनाव के दौरान एक बार फिर बूथों पर पुरुष वोटरों से अधिक महिलाएं वोटरों की संख्या में अधिक देखने को मिलेगी. श्रम संसाधन विभाग व सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लगभग 25 लाख से अधिक मजदूर बिहार लौटे थे. जो दोबारा से यहां से वापस काम की तलाश में जाने लगे हैं.

ट्रेनों में बढ़ी भीड़

बिहार से दिल्ली, मुंबई जाने वाली ट्रेनों में एसी टू तक मजदूर हर दिन जा रहे हैं. पलायन का दौर यह है कि मुंबई व दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में सबसे अधिक भीड़ है और एसी भी जेनरल कोच की तरह हो गया है. जानकारी के मुताबिक, मजदूरों को वापस ले जाने वालों के लिए उनके ठेकेदार खर्च कर रहे हैं और गांव में एक बार फिर से खेतों में काम करने वालों की कमी आ गयी है.

अधिकतर जिलों में रोजगार व खेती कम

1995 के बाद से लगातार राज्य के विभिन्न जिलों से पलायन जारी है. 2011 की जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य से 44 लाख लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं. बिहार के विभिन्न शोध रिपोर्ट के अनुसार पलायन की दर सर्वाधिक गरीब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जातियों में है. 12 प्रतिशत सवर्ण भी पलायन के शिकार हैं. इसके अलावा बिजनेस, पढ़ाई, नौकरी व जन्म के बाद दूसरे राज्यों में रहने वालों की संख्या भी लाखों में है.

इसलिए बढ़ी है बूथों पर महिलाओं की संख्याजनगणना की रिपोर्ट के अनुसार गांव में पुरुषों की संख्या कम है और महिलाओं की संख्या बढ़ी है. गांव के पुरुष काम के लिए बिहार से पलायन कर चुके हैं. बिहार में जनसंख्या घनत्व अधिक, प्रति व्यक्ति आय अन्य राज्यों की तुलना में चार गुणा कम है. उद्योग धंधा कम होने से लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है.

पलायन संबंधी कानून की जानकारी नहीं

पलायन संबंधी आम लोगों को कानून की जानकारी नहीं है. देश में इंटर माइग्रेट एक्ट 1979 में बना. वहीं, इंटरनेशनल लेबर माइग्रेट एक्ट 1983 में बना. गांवों में रोजगार के अवसर का अभाव है, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बदहाली है. इस कारण से लोग यहां से पलायन करते रहे हैं.

Posted by Ashish Jha

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