Bihar Election 2020 : बिहार की इस सीट पर जब मतदाता पति से उबते हैं तो पत्नी पर भरोसा कर लेते हैं, 14 चुनावों में 10 बार दो दंपतियों का रहा दबदबा

Bihar Vidhan Sabha Election 2020 : वर्ष 2005 में गोविंदपुर सीट पर गायत्री देवी के ही पुत्र कौशल यादव ने इन्हें करारी शिकस्त दी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 10, 2020 9:14 AM

अजय कुमार, नवादा : गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र में दांपत्य जीवन बड़ा खुशहाल हुआ करता है. राजनीतिक गलियारों में भी इसकी धमक सुनी जाती रही है. लिहाजा पति पत्नी एक के बाद एक गोविंदपुर वासियों के दिलों पर राज करते आये हैं.

चुनावी आंकड़ों के हिसाब से यह मिथक बरकरार है. गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र यादव बहुलता के हिसाब से जाना जाता है. लिहाजा यहां की राजनीति में इस वर्ग की जबरदस्त पैठ है. मजेदार बात तो यह है कि जब मतदाता पति से उबते हैं तो पत्नी पर भरोसा कर लेते हैं. यह व्यक्ति का भरोसा नहीं राजनीति का भरोसा है, जो अक्सर दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखता है.

वर्ष 1967 में कांग्रेस के टिकट पर अमृत प्रसाद विधायक बने थे. पर, दो वर्ष बाद ही युगल किशोर सिंह यादव एलटीसी के टिकट पर चुनाव जीत गये. लोग बताते हैं एक सड़क दुर्घटना में इनका निधन हो गया. फिर इनकी पत्नी गायत्री देवी 1970 में गोविंदपुर से विधायक निर्वाचित हुई.

हालांकि 1972 और 77 में क्रमश: अमृत प्रसाद और भत्तू महतो चुनाव जीते. इसके बाद 1980 से 90 तक तीन चुनावों में लगातार गायत्री देवी गोविंदपुर की विधायक रही. तब तक यह गायत्री देवी से बदल कर देवी जी के नाम से जिले की राजनीति में जानी जाने लगी थी. वर्ष 1995 में जनता दल की लहर चली और गायत्री देवी को हार का सामना करना पड़ा.

गायत्री देवी की उपस्थिति को कांग्रेस का स्वर्णिम काल भी कह सकते हैं. परंतु, 2000 में एक बार फिर गायत्री देवी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ी और जीती. इसके बाद वर्ष 2005 में गोविंदपुर सीट पर इनके ही पुत्र कौशल यादव ने इन्हें करारी शिकस्त दी और गोविंदपुर से विधायक निर्वाचित हुए. तब का यह चुनाव मां-बेटे के राजनीतिक जंग का दिलचस्प मोड़ था. यह लगातार चुनाव जीतते रहे.

वर्ष 2015 में कौशल यादव ने यह सीट अपनी पत्नी पूर्णिमा यादव को सौंप दी और वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गयी. गोविंदपुर में अब तक 14 बार विधानसभा के चुनाव हुए. इसमें 10 बार एक ही परिवार से जुड़े व्यक्ति विधायक होते रहे. आंकड़ों पर गौर करें तो 20वीं सदी का दौर युगल गायत्री दंपती का था. 20 वीं सदी का दौर कौशल पूर्णिमा दंपती का युग कहा जा सकता है.

Posted by Ashish Jha

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