बिहार चुनाव: प्रदेश की राजनीतिक का केंद्र बिंदु बनी राघोपुर विस के सियासी भाग्य (विजेता) का फैसला गंगा पार बिदूपुर का इलाका करेगा. दरअसल इस विस में किसी के पक्ष में कोई लहर नहीं रही. मतदाता का रुझान एकतरफा नहीं दिखा. बिहार चुनाव 2020 से जुड़ी हर अपडेट के लिए देखते रहिए प्रभात खबर.
अंतिम समय तक यहां मुकाबला त्रिकोणीय बना रहा. अंतत: यहां हार-जीत का फैसला जातीय समीकरण व चुनावी दांव पेच ही करेगा. हालात यह है कि यहां के प्रत्याशियों के समर्थकों की सांसें भी अटकी हुई हैं.
राघोपुर की सड़कों पर बेशक विशेष रंग के गमछों को देख कर पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी का अनुमान तो लग रहा था. लेकिन, मतदान के लिए गलियों से निकल रहे मतदाताओं की भाव-भंगिमा से उनके वोट का अंदाजा लगाना मुश्किल लगा. हालांकि, मतदाता को सीमा सुरक्षा बल की संगीनों ने बेधड़क वोट डालने का मौका जरूर दिया.
यहां महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार राजद प्रत्याशी तेजस्वी यादव, एनडीए के भाजपा सतीश प्रसाद व लोजपा उम्मीदवार राकेश रोशन के बीच त्रिकाेणीय मुकाबला है. बसपा उम्मीदवार सुरेश यादव यहां बेअसर नहीं दिखे.
दलित व सजातीय वोटर्स में उनके पक्ष में कुछ रुझान दिखा. दिवंगत रामविलास पासवान के प्रति दलित वोटर्स में हमदर्दी नजर आयी. इस विस की शुरुआत गंगा पर बने पीपा पुल से होती है. कच्ची दरगाह से जुड़े पीपा पुल को पार करते ही मतदान शुरू होने का आभास हो गया.
स्थानीय पुलिस बहुत कम, बीएसएफ के जवानों का कारवां चक्कर मारते दिखे. पीपा पुल के पार रुस्तमपुर पंचायत शुरू हो जाती है. यहां स्थापित करीब आधा दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों पर लगी लंबी कतारों ने बता दिया कि लोगों में मतदान के लिए कितना उत्साह है.
कतारों में 70% से अधिक महिलाएं दिखीं. यह राजद छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री भोला राय का गांव है. जगदीशपुर, पहाड़पुर से लेकर राघोपुर पश्चिम-पूर्व के अंतिम सिरे तक भारी मतदान हुआ.
यह विस भौगोलिक नजरिये से दो भागों में विभक्त है. यह इलाका है जहां से मुख्य लड़ाई के उम्मीदवारों का सीधा जातीय संबंध नहीं है. इस इलाके में चैंचक, चकौसन, खरिका आदि इलाके में दलित, अतिपिछड़ी व लोहार, हजाम, कहार, धोबी जैसी जातियों की आबादी की बहुलता है. यह वोटर निर्णायक होगा. यहां के वोटर की ताकत ने सभी स्थापित दलों के प्रत्याशियों को चिंता में डाल रखा है. कुल मिला कर यहां विकास से ज्यादा जातीय लामबंदी बड़ा मुद्दा दिखा.
मुख्यमंत्री पद के मुख्य दावेदार तेजस्वी यहां सबसे बड़े प्रत्याशी हैं. उनकी सीधी टक्कर भाजपा उम्मीदवार सतीश प्रसाद व लोजपा उम्मीदवार राकेश रोशन से है. महागठबंधन उम्मीदवार तेजस्वी यादव के लिए बसपा उम्मीदवार खतरा बन सकते हैं. बसपा उम्मीदवार सुरेश यादव महागठबंधन के लिए उसी तरह सिरदर्द साबित हो सकते हैं, जैसे एनडीए प्रत्याशी के लिए एलजेपी राकेश रोशन बने हुए हैं. हालांकि, राकेश यहां पासवान वोटर्स की मदद से मुख्य लड़ाई में दिख रहे हैं.
Posted by Ashish Jha