रोचक प्रसंग: जब अपने पिता की मौत पर शिवानंद तिवारी ने कहा-अपने मृत पिता के नाम पर वोट मांगने का मुझमें साहस नहीं…
पटना: समाजवादी नेता रामानंद तिवारी की मौत के बाद सोशलिस्ट नेताओं ने 1980 में उनके पुत्र शिवानंद तिवारी को उम्मीदवार बनने का फैसला लिया. रामानंद तिवारी बिहार सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे. उनकी मौत के बाद कर्पूरी ठाकुर, कैलाशपति मिश्र, जार्ज फर्नांडीस सरीखे नेताओं ने शिवानंद तिवारी पर पिता की खाली सीट पर उम्मीदवार बनने का दवाब डाला. कर्पूरी ठाकुर ने यहां तक कहा कि यदि आप पार्टी से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, ताे निर्दलीय ही मैदान में आयें, पूरी टीम आपके समर्थन में होगी. लेकिन, शिवानंद ने दो टूक मना कर दिया.
पटना: समाजवादी नेता रामानंद तिवारी की मौत के बाद सोशलिस्ट नेताओं ने 1980 में उनके पुत्र शिवानंद तिवारी को उम्मीदवार बनने का फैसला लिया. रामानंद तिवारी बिहार सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे. उनकी मौत के बाद कर्पूरी ठाकुर, कैलाशपति मिश्र, जार्ज फर्नांडीस सरीखे नेताओं ने शिवानंद तिवारी पर पिता की खाली सीट पर उम्मीदवार बनने का दवाब डाला. कर्पूरी ठाकुर ने यहां तक कहा कि यदि आप पार्टी से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, ताे निर्दलीय ही मैदान में आयें, पूरी टीम आपके समर्थन में होगी. लेकिन, शिवानंद ने दो टूक मना कर दिया.
कर्पूरी ठाकुर से कहा- अपने मृत पिता के नाम पर वोट मांगने का मुझमें साहस नहीं
उन्होंने कर्पूरी ठाकुर से कहा, आप चाचा हैं, पिता जी के मित्र हैं, लेकिन अपने मृत पिता के नाम पर वोट मांगने का मुझमें साहस नहीं है. काफी मान-मनौव्वल के बाद भी शिवानंद राजी नहीं हुए. इसके पहले जब 1977 में जनता पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी और बिहार विस चुनाव के लिए टिकट बांटे जा रहे थे, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शिवानंद तिवारी को शाहपुर सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया.
टिकट लेने से साफ इन्कार
शिवानंद तिवारी को संवाद भिजवाया गया. पर, उन्होंने टिकट लेने से साफ इन्कार कर दिया. शिवानंद ने कहा कि संपूर्णक्रांति के गर्भ से जनता पार्टी का गठन हुआ था. जिस तरह से टिकट बांटे गये थे, वाे किसी भी तरह से उचित नहीं थे. उस समय के कई चर्चित व दागदार नेताओं को भी जनता पार्टी से टिकट मिलने से नाराज शिवानंद ने खुद के उम्मीदवार बनने से मना कर दिया.
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सरयू राय द्वारा बक्सर से भाजपा उम्मीदवार होने के प्रस्ताव को ठुकराया
शिवानंद खुद बताते हैं, तीसरी बार 2014 के लोस चुनाव के दौरान भाजपा ने बक्सर लोकसभा की सीट के लिए उम्मीदवार के नाम तय नहीं किये थे. सरयू राय ने फोन कर बक्सर से भाजपा उम्मीदवार होने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने सीधे ठुकरा दिया.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya