Loading election data...

Bihar election 2020 : जब सड़क सीधी करने के मुद्दे पर हार गये मंत्री जी

1962 का विधानसभा चुनाव था. कटैया विधानसभा क्षेत्र से खड़े तत्कालीन कृषि उपमंत्री चंद्रिका राम एक सड़क को सीधा करने के सवाल पर चुनाव हार गये. चंद्रिका राम कांग्रेस के जाने -पहचाने नाम थे. उस जमाने में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रीधारी और सभी वर्गों में लोकप्रिय रहे चंद्रिका राम पर दो गांवों की नाराजगी भारी पड़ गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 11, 2020 5:59 AM
an image

1962 का विधानसभा चुनाव था. कटैया विधानसभा क्षेत्र से खड़े तत्कालीन कृषि उपमंत्री चंद्रिका राम एक सड़क को सीधा करने के सवाल पर चुनाव हार गये. चंद्रिका राम कांग्रेस के जाने -पहचाने नाम थे. उस जमाने में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रीधारी और सभी वर्गों में लोकप्रिय रहे चंद्रिका राम पर दो गांवों की नाराजगी भारी पड़ गयी.

उन दिनों अधिकतर सड़कें कच्ची हुआ करती थीं. बिहार-यूपी की सीमा से लगे भोरे से विजयीपुर जाने वाली जिला पर्षद की सड़क मिसिर बंधौरा और घात बंधौरा गावं के बीच से गुजरती थी. यह सड़क तीखी मोड़ लिये हुए थी. कुछ लोगों ने मंत्री जी को सुझाव दिया था कि यदि यह सड़क सीधी कर दी जाये तो आवागमन के लिए सुविधाजनक होगी. मंत्री जी को यह सुझाव ठीक लगा.

उन्होंने अपने प्रभाव से अधिकारियों को सड़क सीधी करने को राजी कर लिया. सड़क बनी, कुछ लोगों की जमीनें इसमें गयीं. इस बात को लेकर उनके प्रतिद्वंद्वी रहे बद्री मेहरा ने चुनावी मुद्दा बना लिया. बद्री मेहरा साइकिल से निकलते और लाउडस्पीकर बांध कर दिन भर इन गांवों में घूम- घूम कर यह प्रचार करते रहे कि मंत्री जी ने गांव वालों की जमीन हड़पने की इच्छा से सड़क सीधी करवा दी है.

बद्री मेहरा उन दिनों की प्रमुख पार्टी स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार थे. उनके चुनाव प्रचार में राजा रामगढ़ कामाख्या नारायण सिंह हेलीकाॅप्टर लेकर दो बार आये थे. बद्री मेहरा के प्रचार से गांव के कुछ लोग साथ हो लिये. लिहाजा यादव और काेईरी बहुल इन दोनों गांवों में रहे तीन बूथों पर मंत्री जी के खिलाफ वोट पड़ा. चुनाव परिणाम जब आया तो मंत्री जी यानी चंद्रिका राम 1700 मतों से पराजित हो गये. बद्री मेहरा को जीत हासिल हुई. इसके बाद चंद्रिका राम दोबारा विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाये.

उन दिनों को-आॅपरेटिव स्कूल के आठवीं कक्षा के स्कूली छात्र रहे और विधानसभा सचिवालय के रिटायर अधिकारी वशिष्ठ देव तिवारी बताते हैं कि चुनाव बाद गांव वालों को लगा कि उन्होंने मंत्री जी के खिलाफ गलत धारणा बनायी थी. चंद्रिका राम के एक बेटे अनिल कुमार भाेरे सुरक्षित सीट से अभी विधायक हैं. दूसरे बेटे सुनील कुमार पुलिस की नौकरी से रिटायर होकर जदयू में शामिल हुए हैं.

posted by ashish jha

Exit mobile version