सूरज गुप्ता, कटिहार : विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी व प्रशासनिक गतिविधियां परवान चढ़ने लगा है. जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में सात नवंबर को मतदान होना है. इसके लिए 13 अक्तूबर से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी.
चुनावी सरगरमी तेज होने के साथ-साथ कई तरह के सामाजिक व विकास के मुद्दे भी सामने आने लगे हैं. लोग भी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर प्रत्याशी व राजनीतिक दल को घेरने लगे हैं. यूं तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में आधी आबादी को विभिन्न तरह के अधिकार मिले हैं.
मसलन, महिलाएं आज नौकरी, खेलकूद, सेना सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपना जौहर दिखा रही है. लेकिन कटिहार जिले की महिलाएं सियासी क्षेत्र में पूरी तरह हाशिये पर है.
आजादी के बाद से अब तक की स्थिति पर गौर करने से यही बात सामने आती है कि समता, समानता, बराबरी जैसे शब्दों की दुहाई देने वाले सियासी तबका हमेशा ही आधी आबादी के प्रति दोहरी तरह का नजरिया रखा है.
यद्यपि संसदीय प्रणाली में आधी आबादी को 33 फीसदी आरक्षण देने का मुद्दा भी अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. हालांकि यह अलग बात है कि पंचायती राज व्यवस्था में आधी आबादी को पचास प्रतिशत आरक्षण देकर एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया.
इससे महिलाएं पंचायत तक तो पहुंची. पर उन्हें विधानमंडल व संसद में जाने का मौका नहीं मिला. आजादी के बाद से अब तक कटिहार जिले से मात्र चार महिला ही विधानसभा पहुंच सकी है.
Posted by Ashish Jha