पटना. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर सिर फुटौव्वल की स्थिति बनती जा रही है. मिथिला और चंपारण में प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया है. कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा से हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने की मांग की है.
मिथिला के कद्दावर नेता रहे ललित नारायण मिश्र के पोते और पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा ने बगावत का सुर बुलंद करते हुए कांग्रेस आलाकमान से तत्काल प्रदेश अध्यक्ष पद से मदन मोहन झा को हटाने की मांग की है. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के गृह जिले में पार्टी की करारी हार के लिए सीधे तौर पर श्री झा को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार बताया है. इधर पश्चिम चंपारण के पूर्व जिला अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा ने भी प्रदेश अध्यक्ष में कई गंभीर आरोप लगाते हुए पद से हटाने की मांग की है.
पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भारी अनियमितता की गयी. कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिये गये और कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारे गये जिनका जमीन पर कोई पकड़ नहीं थी.
श्री मिश्र ने कहा कि अगर ये कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहे तो ऐसी स्थिति में बिहार में संगठन का बेड़ा गर्क हो जाएगा. श्री मिश्र दरभंगा जिले के जाले विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे थे. वो वहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस सीट पर कांग्रेस ने इस बार मशहूर उस्मानी को उम्मीदवार बनाया था.
दरभंगा जिले में उस्मानी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद महागठबंधन को इसका खामियाजा उठाना पड़ा और 10 विधानसभा सीटों में से केवल एक सीट पर ही गठबंधन को जीत मिली. बाकी सभी 9 सीटें एनडीए के पाले में चली गयी.
ऋषि मिश्रा ने कहा कि जमीनी स्तर के नेताओं को टिकट नहीं दी गयी है. जिस कारण से बिहार में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. विनिंग सीट 27 सीट की जगह 19 सीट जो स्थिति आयी है, इसपर केंद्रीय नेतृत्व इसका मंथन करें. तेजस्वी यादव सीएम नहीं बने, तो यह मदन मोहन झा के कारण हुआ है. कैप्टन को जब ताली मिलती है तो हार का उसे गाली मिलनी चाहिए.
Posted by Ashish Jha