पटना: वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस का बहुत ही खराब प्रदर्शन रहा, पर वह पूरे पांच साल तक सत्ता में बनी रही. पार्टी ने इस चुनाव में सभी 324 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उन दिनों झारखंड का इलाका बिहार से अलग नहीं हुआ था. चुनाव में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली. 324 सीटों में महज 23 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीत पाये. यह संभवत: पहला अवसर था कि जितने भी कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव जीते, एक छोड़ सारे लोगों को मंत्री पद मिल गये.
वहीं कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया. बाकी के सभी 22 विधायकों को मंत्री पद मिला. इनमें से एक अब्दुल जलील मस्तान ने राज्य मंत्री बनने से इन्कार कर दिया और उन्होंने शपथ नहीं ली. दरअसल, इस चुनाव में राजद को सरकार बनाने की जरूरत के मुताबिक विधायक नहीं मिल पाये. खुद उसके 293 में 124 विधायक चुनाव जीत पाये थे. सरकार बनाने के लिए कम -से -कम 163 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी.
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इस चुनाव में भाजपा के 67 विधायक चुनाव जीते थे और जदयू के 21 विधायक निर्वाचित हुए. राजद को बहुमत नहीं मिलता देख एनडीए की ओर से सरकार बनाने का प्रयास किया गया, पर सफल नहीं हो पाये. अब राजद की ओर सरकार बनाने के प्रयास किये गये. लालू प्रसाद की जोड़ -तोड़ की राजनीति से कांग्रेस और अन्य दलों के सहयोग से राबड़ी देवी की सरकार बनी. कांग्रेस के 23 में 21 विधायक मंत्री बनाये गये. सदानंद सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya