बिहार चुनाव २०२० को लेकर भाजपा में एक तरफ जहां कई लोगों के टिकट कट रहे हैं या गठबंधन के कारण सीट घटक दल के खाते में जाने से कई लोग दूसरे दलों से चुनावी मैदान ताल ठोक रहे हैं. वहीं, बड़ी संख्या में पुराने कार्यकर्ताओं या लंबे समय से पार्टी से जुड़े लोगों को भी पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में उतार रही है. पहले चरण में भाजपा ने अपने कोटे की 29 विधानसभा सीटों पर जितने उम्मीदवारों को उतारा है, उसमें छह नये उम्मीदवारों को पहली बार टिकट दिया गया है.
इसमें जमुई से पहली बार उम्मीदवार बनायी गयी श्रेयसी सिंह को छोड़कर अन्य सभी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं. और उन्हें पहली बार चुनावी मैदान में उतारा गया है. पहले चरण में पार्टी ने करीब 25 फीसदी नये चेहरों पर भरोसा जताया है. आने वाले शेष दो चरणों में भी पार्टी इसी अनुपात में नये लोगों को टिकट देने जा रही है.
पहले चरण में जिन्हें पहली बार टिकट मिला है, उनमें कहलगांव से पवन कुमार यादव, बिक्रम से अतुल कुमार, तरारी से कौशल कुमार सिंह, जमुई से श्रेयसी सिंह, बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी और अरवल से दीपक शर्मा शामिल हैं. इसके अलावा अन्य सीटों पर भी भाजपा कई कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में मौका देने की तैयारी में है.
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हालांकि इससे भाजपा में कई स्तर पर आंतरिक गतिरोध भी शुरू हो गया है. सीटों का बंटवारा होने और आंतरिक रूप से तालमेल नहीं बैठने के कारण कई दिग्गजों का टिकट कट गया. इसी का नतीजा है कि राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया, उषा विद्यार्थी, इंदु कश्यप, जवाहर प्रसाद, मृणाल शेखर समेत अन्य कई नेता लोजपा या अन्य दूसरे दलों से चुनावी मैदान में उतर चुके हैं.
वहीं जदयू कोटे की छह सीटिंग सीटें भाजपा में आने से भी कई विधायकों का टिकट कटा है. बावजूद इन बातों के भाजपा करीब 25 फीसदी नये चेहरों को चुनावी मैदान में उतार रही है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya