Bihar Election Opinion Poll 2020, Latest News: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे ही सियासी गुणा-गणित का तेज हो चुका है. इस बीच प्रभात खबर चुनाव विश्लेषण में महारत रखनेवाली संस्थाओं लोकनीति और सीएसडीएस के विशेषज्ञों ने सर्वेक्षण में यह देखने की कोशिश की गई है कि बिहार में किस पार्टी या गठबंधन को किस जाति, समुदाय का कितना सपोर्ट मिल रहा है या मिल सकता है. बिहार चुनाव 2020 लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
इस सर्वे में पाया गया है कि ऊंची जाति के लोग जहां एनडीए पार्टियों के साथ खड़े हैं, वहीं मुस्लिम वोट बैंक आरजेडी गठबंधन के साथ मजबूती से खड़ा है. पिछले हफ्ते की स्थिति के अनुसार, एनडीए में शामिल चार दल – जेडीयू, बीजेपी, एचएएम (हम) और वीआइपी हैं, जो आरजेडी, कांग्रेस और तीन कम्युनिस्ट पार्टियों के महागठबंधन पर स्पष्ट बढ़त रखते हैं. सर्वेक्षण में पाया गया कि हर पांच मतदाताओं में दो से थोड़े कम की वोटिंग च्वाइस एनडीए थी.
Also Read: Bihar Chunav Opinion Poll Survey: बिहार चुनाव को लेकर सबसे बड़े आंकड़े सामने आए, CM के लिए नीतीश पहली पसंद लेकिन….वहीं, महागठबंधन को लगभग एक तिहाई वोटरों द्वारा पसंद किया गया. वहीं, चुनावों के ठीक पहले एनडीए से अलग हुई लोजपा को छह प्रतिशत वोट मिले. एनडीए और महागठबंधन के बीच का यह गैप यदि चुनाव के दिन तक बना रहता है, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को बढ़त देने के लिए पर्याप्त होना चाहिए.
एनडीए को यह लाभ काफी हद तक उच्च जाति, मध्यम ओबीसी व ईबीसी तथा मुसहर-महादलित एकीकरण के कारण है, क्योंकि इन समुदायों के आधे से अधिक मतदाता एनडीए की ओर झुकाव रखते हैं और चाहते हैं कि मौजूदा सरकार की सत्ता में वापसी हो. अगर एकसाथ देखा जाये तो इन समुदायों के मतदाताओं की संख्या 50 प्रतिशत से थोड़ी अधिक है. दूसरी तरफ राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (या एमवाइ जैसा कि जाना जाता है) गठबंधन (कुल मतदाताओं के एक तिहाई के आसपास) के बीच अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. ‘एम’ के मुकाबले ‘वाइ’ का मजबूत झुकाव दिख रहा है.
भूमिहारों को छोड़कर, एनडीए के मूल मतदाताओं में कोई बड़ी सेंध लगाने में महागठबंधन असमर्थ है, कम-से- कम अभी तक तो ऐसा नहीं दिख रहा. दलित मतदाताओं में विशेष रूप से रविदास और पासवान नीतीश कुमार के सत्ता में बने रहने की तुलना में बाहर होते देखना चाहते हैं, लेकिन वे अपने वोट विकल्प को लेकर बुरी तरह से विभाजित हैं. वे आरएलएसपी, बीएसपी और एमआइएम द्वारा प्रदान किये गये तीसरे विकल्प की ओर आकर्षित भी लगते हैं.
Also Read: Bihar Election Opinion Poll 2020: बिहार चुनाव में यादव, मुस्लिम और दलित वोटर कर सकते हैं बड़ा खेल, ओपिनियन पोल में समझें आंकड़ेंचुनाव पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया कि सभी मतदाताओं में से एक चौथाई से अधिक मतदाता (लगभग 27%) पार्टी या मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की जगह राजनीतिक पार्टी द्वारा चुने गये स्थानीय उम्मीदवार के आधार पर अपना मतदान करेंगे. यह एक महत्वपूर्ण अनुपात है. बड़ी संख्या में लोगों द्वारा निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार को ध्यान में रखते हुए मतदान करने की बात कहने का कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के अलग-अलग दल के वर्तमान विधायक से नाराजगी भी हो सकती है.
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