पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सुप्रीमो का परिवार तो जीता, लेकिन उनके रिश्तेदार चुनाव हार गये. लालू की गैरमौजूदगी में हुए इस पहले चुनाव में लालू परिवार के दो सदस्य ही चुनावी मैदान में दिखे. लालू की पत्नी राबड़ी देवी इस बार भी चुनाव मैदान में नहीं उतरी. उन्होंने कोई चुनावी सभा भी नहीं की. बेटी मीसा भारती भी सीन से लगभग गायब रही. परदे के पीछे मीसा काम करती रही, लेकिन वो जनसभाओं से भी दूर रही. पार्टी और परिवार ने इस बार पूरा फोकस तेजस्वी पर कर रखा था. तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों चुनाव मैदान में थे.
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप पिछली बार महुआ से चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल कर हसनपुर कर ली. हसनपुर का इलाका उनके लिए नया था और जीत की राह भी बहुत आसान नहीं थी. हसनपुर सीट पर तेजप्रताप का मुकाबला अब तक विधायक रहे जेडीयू के राजकुमार राय से था.
सुबह काउंटिंग शुरू होने पर तेजप्रताप यादव पहले पिछड़ गये, लेकिन जल्द ही उन्होंने वापसी की और बढ़त बना ली. इसके बाद लगातार तेजप्रताप ने अपनी बढ़त बरकरार रखी और आखिर में 13932 वोटों से जीत दर्ज की. फाइनल आंकड़े देखें तो तेजप्रताप को 62337 मत मिले हैं. जेडीयू उम्मीदवार राजकुमार राय को 48405 वोट मिले. लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार मनीष कुमार को 7785 मत मिले हैं.
लालू के छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी परंपरागत सीट राघोपुर और परंपरागत प्रतिद्वंद्वी सतीश कुमार से ही लड़ रहे थे. राघोपुर से वो पिछली बार भी चुनाव जीते थे. इस सीट से उनकी मां राबड़ी देवी चुनाव लड़ती थी. राघोपुर से ही 2010 में जदयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराया था. इस बार सतीश कुमार को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था.
तेजस्वी के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं माना जा रहा था. इसलिए राघोपुर विधानसभा सीट पर पूरे देश की निगाह थी. इस बार तेजस्वी यादव ने 37 हजार वोटों से ज्यादा अंतर से जीत दर्ज की है. तेजस्वी यादव को 96,786 वोट, जबकि सतीश कुमार को 58,966 वोट मिले. दोनों प्रत्याशियों के बीच 37,760 वोटों का अंतर रहा. पिछली बार के मुकाबले तेजस्वी को इस बार करीब पांच हजार वोट अधिक मिले हैं.
इस चुनाव में लालू परिवार से चुनाव लड़नेवाले दोनों सदस्य चुनाव जीत गये, लेकिन लालू के रिश्तेदार जीत दर्ज नहीं कर पाये. लालू प्रसाद के साले अनिरूद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव एक बार फिर चुनाव हार गये. साधु यादव गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे.
वो मतगणना के पहले दौर में आगे चल रहे थे, लेकिन बाद में वे पिछड़ते ही चले गये. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुभाष सिंह ने साधु यादव को 36,752 मतों के बड़े अंतर से हरा दिया. सुभाष को 77,751 जबकि साधु को 41,039 मत मिले. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपना भाग्य आजमाया था। सफलता नहीं मिली। लगातार तीन चुनावों में हार के बाद साधु यादव इन दिनों घर बैठे हुए थे.
पारिवारिक विवादों से चर्चा में आये लालू के समधि और पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के बेटे चंद्रिका राय भी इस बार चुनाव हार गये. चंद्रिका राय को जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाया था. चंद्रिका सुबह मतगणना के शुरू होने के साथ ही छोटे लाल से पीछे चल रहे थे.
इसके बाद दिन के ढलते-ढलते दोनों के बीच के वोट का अंतर बढ़ता गया और चंद्रिका राय को हार का सामना करना पड़ा. छोटे लाल को 54,494 वोट मिले, जबकि चंद्रिका राय को 40,253 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. इसी सीट से साल 2015 में राजद उम्मीदवार के रूप में चंद्रिका राय ने छोटे लाल को 42,335 वोटों के भारी अंतर से हराया था.
Posted by Ashish Jha