सीवान जिले कई सीटों पर बागी समीकरण बिगाड़ सकते हैं. जिले में रोजगार, पलायन, कृषि आधारित उद्योग नहीं होने जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर चर्चा है.
2015 के चुनाव में यहां से रमेश सिंह कुशवाहा विजयी हुए थे. वहीं, भाजपा के आशा पाठक दूसरे स्थान पर रही थीं. इस बार के चुनाव में भाजपा व जदयू साथ हैं. वहीं राजद भाकपा -माले के साथ खड़ा है. इस बार भाकपा- माले ने अमरजीत कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि एनडीए ने निवर्तमान विधायक का टिकट काटकर कमला सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
रमेश सिंह कुशवाहा बागी होकर अपना समर्थन महागठबंधन को देने की घोषणा कर चुके हैं. वहीं लोजपा से विनोद तिवारी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं. घात व प्रतिघात के बीच जदयू को अपनी सीट बचाने की चुनौती है.
सीवान सदर सीट पर भाजपा व राजद में सीधी टक्कर देखी जा रही है. भाजपा ने दो बार से सांसद रहे ओमप्रकाश यादव को उम्मीदवार बनाया है. वहीं राजद ने पूर्व काबीना मंत्री अवध बिहारी चौधरी पर भरोसा जताया है. टिकट कटने से नाराज तीन बार से विधायक रहे व्यास देव प्रसाद नाराज होकर निर्दलीय मैदान में थे. लेकिन भाजपा नेताओं के प्रयास से उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को समर्थन दे दिया.
दरौली में सियासी लड़ाई परवान पर चढ़ गयी है. इस क्षेत्र में चार ही उम्मीदवार होने से पुराने समीकरण ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं. महागठबंधन में शामिल भाकपा माले ने विधायक सत्यदेव राम को अपना उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने पूर्व विधायक रामायण मांझी पर विश्वास जताया है. दोनों प्रतिद्वंद्वी समाजिक समीकरण को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए प्रयासरत हैं. मतदाताओं की मौन धारण करने से दोनों खेमों में बेचैनी है.
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यह सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंसता दिख रहा है. राजद ने जहां अपने निवर्तमान विधायक हरिशंकर यादव पर भरोसा जताया है. वहीं, जदयू ने राजेश्वर चौहान को चुनावी जंग में उतारा है, जबकि लोजपा प्रत्याशी के तौर पर पूर्व एमएलसी मनोज कुमार सिंह इस सियासी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.
इस बार बड़हरिया के सियासी मैदान में उम्मीदवार वही हैं, लेकिन उनका दल बदल गया है. लोजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले बच्चा पांडे इस बार राजद के उम्मीदवार हैं. वहीं, गत विधानसभा में महागठबंधन में शामिल विधायक श्यामबहादुर सिंह इस बार जदयू से किस्मत आजमा रहे हैं.
यहां लड़ाई त्रिकोणीय नजर आ रही है. एनडीए ने जहां एक बार फिर जदयू के निवर्तमान विधायक हेमनारायण साह पर भरोसा जताया है. वहीं, महागठबंधन ने माझी के निवर्तमान विधायक को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. भाजपा का दामन छोड़ पूर्व विधायक डॉ कुमार देवरंजन सिंह लोजपा के टिकट पर मैदान में डटे हैं. जीत का स्वाद भले ही कोई चखे, परंतु लड़ाई इन्हीं तीनों के बीच होती दिख रही है.
इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए प्रत्याशी देवेशकांत सिंह व महागठबंधन की नूतन देवी के बीच होने के आसार दिख रहे हैं. राजद से हालांकि, बेटिकट हुए व रालोसपा से चुनाव लड़ रहे विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह अपने समर्थकों व राजद के वोटों में सेंधमारी कर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जुटे है.
वहीं जन अधिकार पार्टी (लो.) के प्रेमचंद सिंह भी खुद के लड़ाई में होने का दावा कर रहे है. दूसरी तरफ निर्दलीय धर्मवीर सिंह, अनूप तिवारी समेत कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में आ कर एक अलग मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं.
Posted by Ashish Jha