Bihar Election Update 2020 : कई राजनेता अपनी अगली पीढ़ी को सियासी विरासत सौंपने में लगे हुए हैं. कोई अपने पुत्र को तो कोई अपने भाई को मैदान में उतार चुका है. ऐसा नहीं की ऐसे नेता किसी एक दल में हैं. बिहार के सभी प्रमुख दलों में ऐसा नेताओं की भरमार है. ये नेता अपनी राजनीतिक विरासत अपने परिवार की दूसरी पीढ़ी को सौंप कर अपने राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं.
राजद के पूर्व मंत्री रहे स्व मुंद्रिका यादव के बेटे सुदय यादव भी इस बार के चुनाव मैदान में हैं. सुदय यादव मौजूदा विधायक हैं. पिता की मौत के बाद हुए उपचुनाव में उन्हें जीत मिली थी. इस बार दोबारा उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्र इस बार के चुनाव में मधुबनी जिले की झंझारपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं. 2010 से 2015 के बीच रही पिछली सरकार में वो मंत्री भी रहे. 2015 के विधानसभा चुनाव में वो राजद के गुलाब यादव से पराजित हो गये थे.
भाजपा विधान पार्षद टुन्ना पांडेय के छोटे भाई बच्चा पांडेय इस बार के विधानसभा चुनाव मैदान में हैं. बच्चा पांडेय को इस बार राजद ने चुनाव मैदान में उतारा है. टुन्ना पांडेय क्षेत्रीय प्राधिकार की सीट से भाजपा से विधान पार्षद हैं. बच्चा पांडेय का यह पहला चुनाव है.
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी की दूसरी पीढ़ी भी चुनाव मैदान में है. उनके बेटे राहुल तिवारी शाहपुर विधानसभा सीट से राजद की टिकट पर दूसरी बार उम्मीदवार बनाये गये हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में वे पहली बार चुनाव मैदान में आये और जीत हासिल की. राहुल तिवारी सोसलिस्ट पार्टी के बड़े नेता रामांनद तिवारी के पोते हैं.
कांग्रेस के पूर्व सीएम अब्दुल गफूर की तीसरी पीढ़ी राजनीति में कदम रख चुकी है. गफूर के पोते आसिफ गफूर को कांग्रेस पार्टी ने गोपालगंज से उम्मीदवार बनाया है. आसिफ का यह पहला चुनाव है. बिहार में छात्र आंदोलन के समय अब्दुल गफूर मुख्यमंत्री रहे थे. आसिफ गफूर कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहे हैं.
राजद नेत्री और केंद्र में मंत्री रहीं कांति सिंह की भी दूसरी पीढ़ी चुनाव मैदान में उतरी है. कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह को राजद ने औरंगाबाद जिले की ओबरा सीट पर उम्मीदवार बनाया है. ऋषि सिंह का यह पहला चुनाव है. कांति सिंह राजद की वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं.
राजद के पूर्व सांसद सीताराम सिंह की दूसरी पीढ़ी पूरी तरह राजनीति में स्स्थापित हो चुकी है. उनके बेटे राणा रंधीर सिंह पूर्वी चंपारण जिले के मधुबन विधानसभा सीट से इस बार भी चुनाव मैदान में हैं. मौजूदा राज्य सरकार में वो मंत्री भी हैं. पिता की मौत के बाद वे राजनीति में आये.
पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद की दूसरी पीढ़ी भी चुनाव मैदान में है. खुद लवली आनंद सहरसा विधानसभा सीट से राजद की उम्मीदवार हैं. वहीं बेटे चेतन आनंद शिवहर विधानसभा सीट से इसी दल के प्रत्याशी हैं. चेतन आनंद पहली बार चुनाव मैदान में हैं. जबकि उनकी माता लवली आनंद पूर्व विधायक और सांसद रह चुकी हैं.
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की दूसरी पीढ़ी चुनाव में पूरे दमखम से उतरी है. उनके बेटे सुधाकर सिंह राजद की टिकट से कैमूर जिले की रामगढ़ सीट पर उम्मीदवार बनाये गये हैं. सुधाकर सिंह इसके पहले भी चुनाव मैदान में रह हैं. पिछले कई साल से वे राजद के कार्यकर्ता रहे हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की दूसरी पीढ़ी यानी उनके बेटे राजनीति में कदम रख चुके हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह की मौत के बाद उनके इंजीनियर बेटे सत्यप्रकाश सिंह ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की है. पार्टी ने उन्हें कहीं से भी उम्मीदवार नहीं बनाया है. पर उन्होंने अपने को राजनीति में सक्रिय किया है.
Posted by Ashish Jha