बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब लोजपा फिर एक बार चर्चे में है. इस बार मामला राज्यसभा की सीट को लेकर है. पूर्व केंद्रीय मंत्री व लोक जनशक्ति पार्टी के संरक्षक रहे रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट पर एनडीए किसे उम्मीदवार बनाएगी, इसे लेकर अलग-अलग कयास लगाए जाने लगे हैं. इस सीट के लिए 14 दिसंबर को चुनाव होना है.
बिहार चुनाव के बाद राजनीतिक दलों के रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव और बिहार में भाजपा के द्वारा किए गए फेरबदल के कारण अब इस सीट पर उम्मीदवारी को लेकर समीकरणों की बातें राजनीतिक गलियारे में शुरू हो गई है. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लोजपा और जदयू के बीच खुलकर सामने आइ तकरार व लोजपा के एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने के कारण अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा की इस सीट को भाजपा फिर से लोजपा को देती है या फिर अपने रखने का फैसला लेती है.
वहीं बिहार चुनाव के बाद बिहार में भाजपा ने बड़ा फेरबदल किया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के जगह इस बार दो नए चेहरों को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. जिसके बाद इस बात के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा सुशील मोदी को इस सीट से राज्यसभा भेज सकती है. हालांकि इस बात को लेकर भाजपा के तरफ से कोई भी बयान नहीं आया है.
Also Read: Corona Vaccine: फ्री में मिलेगा कोरोना का टीका या देने होंगे पैसे! मॉडर्ना ने किया कीमत का खुलासा
राज्यसभा की सीट रामविलास पत्नी को देने की मांग
वहीं लोजपा के अंदर भी इस सीट को लेकर चर्चा है. रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट को उनकी पत्नी को देने की मांग की गयी है़. लोजपा के नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से बात कर इसकी मांग करने को कहा है़. लोजपा के प्रदेश महासचिव शाहनवाज कैफी व मीडिया प्रभारी कृष्ण सिंह ने कहा कि रामविलास पासवान के निधन के बाद राज्यसभा की जो सीट खाली हुई है वो उनकी धर्मपत्नी रीना पासवान को देना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी़.
वहीं जदयू व सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव के दौरान खुलकर मैदान में आई लोजपा के पक्ष में यह निर्णय लेना कितना आसान होगा यह भी देखने वाली बात है. क्योंकि एनडीए सर्वसम्मति के उम्मीदवार को ही राज्यसभा भेजना चाहेगी. किसी भी गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत का होना जरूरी है. अगर इस दौरान विपक्ष की ओर से भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया जाता है तो 243 सदस्यों वाली विधानसभा में जीत उसी की हो सकती है, जिसे प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट मिलेंगे. इसके लिए किसी भी दल को गठबंधन के साथी दल की मदद की जरूरत पड़ेगी.
Posted by : Thakur Shaktilochan