Bihar Third Phase Election 2020: आज 11 मंत्रियों और सत्ताधारी दल के खिलाफ उतरीं चार देवियों की किस्मत का भी होगा फैसला
Bihar Election 2020, 3rd Phase Voting, Male Female Candidate Details: विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में जहां कोसी, मिथिला और सीमांचल ही सरकार बनाने का फैसला करेंगे, वहीं सरकार के 12 मंत्रियों के साथ चार प्रमुख महिलाओं के चुनावी किस्मत का भी फैसला होने वाला है.
Bihar Election 2020, 3rd Phase Voting, Male Female Candidate Details: विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में जहां कोसी, मिथिला और सीमांचल ही सरकार बनाने का फैसला करेंगे, वहीं सरकार के 12 मंत्रियों के साथ चार प्रमुख महिलाओं के चुनावी किस्मत का भी फैसला होने वाला है. Bihar Election Live News से जुड़ी हर खबर के लिये बने रहिये Prabhat Khabar पर.
इनमें सहरसा से राजद की लवली आनंद, कांग्रेस की सुभाषिनी यादव बिहारीगंज से, गायघाट से लोजपा की कोमल सिंह और परिहार से राजद की रितु जायसवाल प्रमुख हैं. सत्ताधारी दल से मंत्री बीमा भारती पूर्णिया जिले की रूपौली से और पूर्व मंत्री लेसी सिंह धमदाहा सीट से प्रत्याशी हैं. कोसी इलाके के तीन जिले मधेपुरा, सहरसा और सुपौल की 13 सीटें, सीमांचल की 24 और मिथिलांचल की 10 सीटें सरकार बनाने की दिशा तय कर देंगी.
तीसरे चरण में शनिवार को कुल 78 सीटों पर मतदान होना है. इनमें चंपारण की आठ व तिरहुत प्रमंडल की करीब आधा दर्जन सीटें शामिल हैं. सरकार के 11 मंत्रियों के चुनावी किस्मत का भी शनिवार को फैसला होना है. Bihar Chunav Live News से जुड़ी हर खबर के लिये बने रहिये prabhatkhabar.com पर
इनमें ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल जिले की सुपौल सीट से, भाजपा के विनोद नारायण झा मधुबनी जिले की बेनीपट्टी सीट से, कृष्ण कुमार ऋषि पूर्णिया जिले की बनमनखी सीट से, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा मुजफ्फरपुर जिले की मुजफ्फरपुर सीट से, खुर्शीद अहमद पश्चिमी चंपारण जिले के सिकटा से, आपदा मंत्री लक्ष्मेश्वर राय मधुबनी जिले की लौकहा सीट से, बीमा भारती रूपौली से, मदन सहनी दरभंगा जिले की बहादुरपुर से,महेश्वर हजार समस्तीपुर जिले की कल्याणपुर सीट से , रमेश ऋषिदेव मधेपुरा जिले की सिंहेश्वर से और प्रमोद कुमार मोतिहारी सीट से उम्मीदवार हैं.
2015 के चुनाव में कोसी इलाके की सीटें सरकार बनाने में अहम भूमिका निभायी थी. इस बार भी 78 सीटों में पचास सीटें जिस गठबंधन की झोली में आयेंगी, सरकार बनाने की दिशा में वह अग्रसर होगा. कोसी के इलाके में पिछली बार जदयू का प्रभुत्व रहा था. हालांकि, पिछली बार जदयू महागठबंधन का अंग रहा था. इस बार समीकरण बदले हुए हैं.
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कोसी और सीमांचल व मिथिलांचल में एक कड़ी आबादी अतिपिछड़ी जातियों की है. कोसी इलाके में इसे पचफोरना के नाम से भी पहचाना जाता है. अतिपिछड़ी जातियों का यह समूह कोसी में यादव को और मिथिलांचल में ब्राह्मण मतदाताओं को बैलेंस करता है. 1995 के चुनाव में लालू यादव के जिन्न के रूप में उभरने वाला यह समूह हाल के दिनों में जदयू के करीब माना जाता है. इस बार के चुनाव में दोनों ही गठबंधनों ने इस समूह को अपनी ओर आकर्षित करने के जी- तोड़ प्रयास किये हैं, पर चुनाव परिणाम के दिन ही इसका असर दिख पायेगा.
इसी प्रकार सीमांचल, मिथिलांचल व चंपारण इलाके में अल्पसंख्यक आबादी भी निर्णायक भूमिका में है. सीमांचल के किशनगंज में सत्तर प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की ही है. यही कारण है कि मुस्लिम मतों की ओर ललचायी नजरों से ओवैसी की निगाहें देख रही हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव के उपरांत हुए विधानसभा के उपचुनाव में किशनगंज की एक सीट ओवैसी के खाते में गयी थी. इससे उत्साहित पार्टी इस बार बड़े ग्रुप के साथ चुनाव मैदान में उतरी है
Posted By: Sumit Kumar Verma