पटना : बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के वरिष्ठ नेता श्याम रजक की अपनी पारंपरिक विधानसभा सीट फुलवारी शरीफ से टिकट हासिल करने की उम्मीदों को उस समय झटका लगा जब यह सीट महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत भाकपा-माले के खाते में चली गयी. श्याम रजक करीब दो महीने पहले ही जनता दल (यू) छोड़कर राजद (राष्ट्रीय जनता दल) में शामिल हुए थे और उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें फुलवारी शरीफ सीट से टिकट देगी.
हालांकि, श्याम रजक ने कहा कि पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिये जाने से न तो वह परेशान हैं और न ही नाराज हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी (RJD) नेतृत्व चाहेगा तो वह पार्टी के लिये चुनाव प्रचार करेंगे. पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा, ‘‘मैं न तो टिकट पाने की इच्छा से राजद में शामिल हुआ था और न ही किसी से टिकट मांगी थी और न ही शामिल होने के समय में कोई आश्वासन दिया गया था.”
भाकपा-माले ने फुलवारी शरीफ सहित 19 विधानसभा सीटों के लिये अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. भाकपा-माले को राजद नीत विपक्षी महागठबंधन में 19 सीटें दी गयी है. पार्टी ने गोपाल रविदास को फुलवारी शरीफ से टिकट दिया है. माकपा को छह और भाकपा को चार सीटों मिली हैं.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने 3 अक्तूबर को गठबंधन के घटक दलों को मिली सीटों की घोषणा की थी. गौरतलब है कि श्याम रजक को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और 16 अगस्त 2020 को जदयू से छह वर्ष के लिये निष्कासित कर दिया गया था.
समझा जाता है कि श्याम रजक को आशंका थी कि जदयू उन्हें फुलवारी शरीफ सीट से टिकट नहीं देगी जिस क्षेत्र में उन्होंने वर्षों से मेहनत की थी. सूत्रों का कहना है कि रजक इस बात से परेशान थे कि इस सीट पर पार्टी दूसरे नेताओं को तवज्जो दे रही थी.
जदयू से निष्कासित किये जाने के कुछ ही दिनों बाद श्याम रजक राजद में शामिल हो गये थे, ताकि उन्हें फुलवारी शरीफ सीट से टिकट मिल सके. लेकिन, महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत यह सीट भाकपा-माले के खाते में चली गयी.
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इस बारे में पूछे जाने पर श्याम रजक ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य नहीं है कि उन्हें टिकट नहीं मिला. उन्होंने कहा, ‘‘ मैं पिछले 40 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हूं. ऐसी बातों से मुझे आश्चर्य नहीं होता और जीवन में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं.” आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह घर पर आराम करेंगे, क्योंकि दिल्ली में उपचार कराने के बाद एक अक्तूबर को ही पटना लौटे हैं.
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