बिहार विधानसभा चुनाव 2020, Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020: विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के नेताओं ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीटों के बंटवारे के ऐलान कर दिया. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच ही मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के समर्थकों ने हंगामा कर दिया. राजद नेता तेजस्वी यादव सीट शेयरिंग की घोषणा कर ही रहे थे कि पूरा हॉल मुर्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे से गूंजने लगा.
वीआईपी के नेताओं ने कहा कि वादा कुछ और किया गया जबकि किया कुछ और गया. मुकेश सहनी ने सीटों को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने मेरे साथ धोखा किया है. इसके साथ ही उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया. कहा कि राजद ने सीटों को एडजस्ट करने की बात कही थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और पीठ में छूरा भोंका है.
आज राजद के द्वारा अतिपिछड़ों के पीठ में खंजर मारा गया है।
अतिपिछड़ा समाज से होने के कारण राजद ने जो हमारे समाज के साथ धोखा किया है, पूरा अतिपिछड़ा समाज और वीआईपी पार्टी इसका प्रतिकार करती है।
जनता इस चुनाव में राजद को सबक सिखाने वाली है।
— Mukesh Sahani (@sonofmallah) October 3, 2020
उन्होंने ट्विटर पर लिखा आज राजद के द्वारा अतिपिछड़ों के पीठ में खंजर मारा गया है. अतिपिछड़ा समाज से होने के कारण हमारे सुप्रीमो, सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी जी के साथ राजद ने जो धोखा किया है, पूरा अतिपिछड़ा समाज और वीआईपी पार्टी इसका प्रतिकार करती है. जनता इस चुनाव में राजद को सबक सिखाने वाली है.
इससे पहले तेजस्वी यादव ने कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सभी दलों ने मेरे नेतृत्व पर जो विश्वास जताया है, मैं वादा करता हूं कि सभी के वादों पर खरा उतरूंगा. उन्होंने कहा कि बिहार के डबल इंजन की सरकार आईसीयू में है. बता दें कि मुकेश सहनी प्रेस कॉन्फ्रेस में मौजूद थे. इससे पहले तेजस्वी यादव ने कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सभी दलों ने मेरे नेतृत्व पर जो विश्वास जताया है, मैं वादा करता हूं कि सभी के वादों पर खरा उतरूंगा.
उन्होंने कहा कि बिहार के डबल इंजन की सरकार आईसीयू में है. उन्होंने ऐलान किया बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के तहत राजद के खाते में 144 सीटें आई हैं जिसमें से कुछ सीटें जेएमएम और वीआईपी को भी दी जाएंगी. वाल्मिकी नगर लोकसभा उपचुनाव का टिकट कांग्रेस को दिया गया है. कांग्रेस को 70, भाकपा माले को 19 , सीपीआई को 6 औऱ सीपीएम को 4 सीटें दी गईं है.
Posted by: Utpal kant