गया : जिले में दस विधानसभा सीटों के लिए 28 अक्तूबर को मतदान होना है. मुख्य पार्टियों के अलावा दूसरी छोटी पार्टी व निर्दलीय स्तर पर कई प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. गया नगर, टिकारी, अतरी, इमामगंज व गुरुआ विस सीटों के लिए कड़ा मुकाबला है. यहां से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए सीट बचाने या निकालने के साथ अपनी राजनीतिक साख को बनाये रखना भी चुनौती है.
कहीं कोई अपना रिकाॅर्ड और वर्चस्व कायम रखने की कोशिश में है, तो कोई इस रिकाॅर्ड और वर्चस्व को समाप्त कर एक नया अध्याय शुरू करना चाहता है. इन सब के बीच कई विधानसभा क्षेत्रों में कई ऐसे प्रत्याशी भी हैं जो या तो निर्दलीय हैं या एनडीए व महागठबंधन के अलावा किसी तीसरी पार्टी से. इन प्रत्याशियों को भी हल्के में लेना नासमझी होगी, क्योंकि ये प्रत्याशी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.
25 प्रत्याशियों के मैदान में होने से इस बार टिकारी विधानसभा सीट के लिए मुकाबला भी कड़ा ही होगा. टिकारी से टिकट पाने के लिए इस बार होड़ भी बहुत थी. इस सीट से वर्तमान में विधायक जदयू के अभय कुशवाहा ने इस चुनाव में अपने लिए बेलागंज से टिकट सुनिश्चित किया. हम के एनडीए में शामिल होने से यह सीट हम के कोटे में आ गयी, हम ने इस क्षेत्र में पूर्व विधायक रहे अनिल कुमार को मैदान में उतार दिया है.
महागठबंधन की बात करें , तो यहां से पहले राजद कोटे से प्रत्याशी देने की चर्चा थी. जदयू छोड़ राजद में शामिल हुए कमलेश शर्मा का नाम राजद कोटे से टिकट पाने वालों के नाम में आगे था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला सका. यह सीट कांग्रेस के खाते में चल गयी. इसके बाद कमलेश शर्मा ने लोजपा से अपना टिकट फाइनल कराया और अब मुकाबले के लिए मैदान मेें हैं.
टिकारी से कांग्रेस के भी प्रत्याशी को लेकर पटना और दिल्ली तक बवाल हुआ. पहले कांग्रेस ने जिस प्रत्याशी का नाम फाइनल उसे लेकर पार्टी के ही अंदर ही विरोध शुरू हो गया. बाद में उस प्रत्याशी की जगह पूर्व जिला पार्षद सुमंत कुमार को टिकट दिया गया. इस सीट पर मुख्य रूप से ये तीनों दावेदार एक ही जाति से हैं. इनके अलावा दूसरे प्रत्याशियों में भी कई इसी जाति से हैं, ऐसे में यहां वोट का बिखराव भी लगभग तय माना जा रहा है.
जिले के 10 विधानसभा सीटों में गया नगर हमेशा से ही हाॅट सीट माना जाता रहा है. कारण है 1990 से भाजपा के डाॅ प्रेम कुमार लगातार जीत हासिल करना. उनकी जीत के रिकाॅर्ड को तोड़ना दूसरे प्रत्याशियों के लिए एक मजबूत चुनौती रहा है. इधर, डाॅ प्रेम कुमार भी लगातार 30 वर्षों से अपनी सीट को बचाने में कामयाब रहे हैं. अब इस बार इस सीट से 27 उम्मीदवार मैदान में हैं.
26 प्रत्याशियों की कोशिश है डाॅ प्रेम कुमार की जीत के रिकाॅर्ड को तोड़ना तो उधर, डाॅ प्रेम कुमार एक और जीत के साथ अपने रिकाॅर्ड पर कायम रखने के प्रयास में है. शहर में भी इसी विषय पर चर्चा हो रही है. पब्लिक रिकाॅर्ड बरकार रहेगा या टूट जायेगा इसी चर्चा में मशगुल है. मुख्य रूप से इस बार मुकाबला भाजपा के डाॅ प्रेम कुमार व कांग्रेस से अखैारी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के बीच है. मोहन श्रीवास्तव पहले भी दो बार डाॅ प्रेम कुमार के खिलाफ मैदान में उतरे थे. हालांकि, 27 प्रत्याशियों के मैदान में होने से वोट के बिखराव की भी चर्चा बाजार में है.
अतरी विधानसभा सीट के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस सीट पर पूर्व विधायक राजेंद्र प्रसाद यादव व उनके परिवार का दबदबा रहा है. उनके बाद उनकी पत्नी कुंती देवी से यहां विधायक हैं. इस बार उनके पुत्र अजय यादव उर्फ रंजीत कुमार यादव मैदान में हैं. इस सीट से 2010 में एक बार कृष्णनंदन यादव विधायक रहे. लेकिन, 2015 में फिर से कुंती देवी ने इस सीट को जीत लिया.
इस सीट से लोजपा से अरविंद सिंह भी मुकाबला करते रहे हैं. इस बार अतरी का चुनाव सुर्खियों में हैं. कारण है, जदयू की विधान पार्षद मनोरमा देवी की इस क्षेत्र में उपस्थिति. जदयू ने इस सीट के लिए मनोरमा देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है. मनोरमा देवी जिला पर्षद पूर्व अध्यक्ष व मगध की राजनीति में मजबूत उपस्थिति रखने वाले स्वर्गीय बिंदी यादव की पत्नी हैं. उनके इस क्षेत्र में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. अब यहां सीट से कहीं वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिल सकता है.
गया जिले में इमामगंज विधानसभा सीट को सबसे हाॅट सीट माना जा रहा है. कारण है कि यहां मैदान में दो राजनीतिक दिग्गजों के बीच मुकाबला होगा. राजद ने बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को मैदान में उतारा है. श्री चौधरी का प्रभाव इस क्षेत्र में लंबे समय से रहा है. श्री चौधरी इस क्षेत्र से जदयू कोटे से विधायक भी रहे हैं.दूसरी ओर से एनडीए ने हम प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को मुकाबले के लिए भेजा है.
दोनों ही नेता राजनीति में पारंगत हैं और दोनों के पास ही लंबा अनुभव है. दोनों के ही राजनीतिक साख का भी सवाल है. 2015 में भी दोनों आमने-सामने थे. परिस्थिति तब भी अलग थी और आज भी दोनों ही प्रत्याशियों के साथ परिस्थितियां अलग हैं. हालांकि, जीत का दावा दोनों का है.
यह मुकाबला कितना दिलचस्प है, यह इस बात पता चल रहा है कि इमामगंज की चर्चा पटना तक है. इस सीट से मैदान में कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें लोजपा से कुमारी शोभा सिन्हा भी हैं. चर्चा यह थी कि शोभा सिन्हा भाजपा कोटे से बोधगया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने लोजपा से इमामगंज के लिए टिकट ले लिया.
गुरुआ विधानसभा सीट अभी भाजपा के खाते में है. भाजपा ने अपने सिटिंग एमएलए राजीव नंदन दांगी को ही मैदान में उतारा है. दूसरी और महागठबंधन की ओर से यह सीट राजद के पास है. राजद ने विनय कुमार को टिकट दिया है.
इस सीट से चुनाव लड़ने के लिये कुल 23 प्रत्याशी मैदान में हैं. लेकिन, यहां मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा और राजद के बीच माना जा रहा है. हालांकि, दूसरी पार्टियों से भी जो प्रत्याशी मैदान में उनका भी प्रभाव इस क्षेत्र में ठीक है. देखना दिलचस्प होगा कि मुकाबला भाजपा बनाम राजद ही रहता है या इसमें कोई प्रत्याशी गेम चेंजर की भूमिका में आयेगा.
Posted by Ashish Jha