पटना : गांधी मैदान के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में चुनाव ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए मतदान कर्मियों की भीड़ उमड़ पड़ी. शनिवार को चुनाव ड्यूटी में लगाये गये मतदान कर्मियों के नाम हटाने पर विचार करने के लिए कैंप लगाया गया था. वहां सशरीर उपस्थित हो कर मेडिकल टीम के समक्ष चुनाव ड्यूटी नहीं करने के लिए स्वलिखित घोषणा पत्र देना था.
इसके साथ ही चुनाव ड्यूटी नहीं करने के कारण के रूप में बीमारी या विकलांगता आदि होने का प्रमाण पत्र जमा करना था. इसमें कई सही रूप से चुनाव ड्यूटी करने लायक नहीं थे तो कुछ जबरन कुछ कारण बना कर चुनाव ड्यूटी से पिंड छुड़ाने के लिए पहुंचे हुए थे. हालांकि मेडिकल टीम ने सभी के घोषणा पत्र को रख लिया और उन पर विचार किया जायेगा कि चुनाव ड्यूटी में रखना है या नहीं?
दिव्यांग कर्मियों के लिए नहीं थी अलग से कोई व्यवस्था : दिव्यांग कर्मियों के लिए श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कहीं भी अलग से कोई व्यवस्था नहीं थी. जिसके कारण इन्हें भी लंबी लाइन में लग कर घोषणा पत्र का आवेदन प्राप्त करना पड़ा और फिर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा. इसके कारण विकलांग लोगों को काफी कष्ट का सामना करना पड़ा.
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अगर कोई कर्मी दिव्यांग हैं तो उनका नाम चुनाव ड्यूटी के लिए संबंधित विभाग से क्यों भेजा गया?
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अगर भेजा भी गया तो उनके संबंध में पूरी जानकारी दी गयी या नहीं?
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जानकारी दे कर भी नाम भेजा गया तो फिर दिव्यांग कर्मियों को सामूहिक कैंप में आने की जरूरत कैसे पड़ी?
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मेडिकल टीम ने घोषणा पत्र रखा, करेगी विचाार
सेल्स टैक्स ऑफिस में कार्यरत कर्मी आलोक कुमार दोनों पांव से दिव्यांग से हैं. उनकी भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी गयी है. वे किसी तरह से श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल की सीढ़ियों को चढ़ कर लंबी लाइन लगा कर मेडिकल टीम के पास घोषणा पत्र लेकर पहुंचे थे. लेकिन संयोग से प्रमाण पत्र घर पर छूट गया था. लेकिन फिर भी टीम ने घोषणा पत्र स्वीकार नहीं किया और प्रमाण पत्र लाने का निर्देश दिया.
पशुपालन विभाग में तैनात चतुर्थवर्गीय कर्मी किशोरी राय किसी तरह से अपने बेटे के कंधे पर चढ़ कर चुनाव ड्यूटी से अलग रहने के लिए शपथ पथ देने पहुंचे थे. मेडिकल टीम ने जांच की और फिर शपथ पत्र लेने के बाद जाने का निर्देश दिया. किशोरी राय का कहना था कि वे किसी तरह ड्यूटी करते हैं. चुनाव ड्यूटी करना कठिन है.
पटना सदर अंचल के कर्मी संजय कुमार चौधरी के भी पैर खराब थे और किसी तरह से सीढ़ी चढ़ कर मेडिकल टीम के पास पहुंचे थे. इस दौरान गेट से लेकर मेडिकल टीम तक पहुंचने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी. नाम हटवाने के लिए लंबी लाइन में लग कर घोषणा पत्र का आवेदन प्राप्त किया और फिर मेडिकल टीम का इंतजार किया.
पटना विश्वविद्यालय के कई कर्मी भी चुनाव ड्यूटी से अपना नाम हटवाने के लिए पहुंचे थे. एक कर्मी पैर से लाचार थे और एक के नस में समस्या आ गयी थी. इसके कारण उन्हें बैठने तक में दिक्कत थी. उनका कहना था कि वे जहां ड्यूटी करते हैं, वहां सबको जानकारी है, लेकिन फिर भी उनका नाम चुनाव ड्यूटी में डाल दिया गया.
Posted By : Sumit Kumar Verma