बिहार में 1967 में महामाया प्रसाद सिन्हा की बनी पहली गैर कांग्रेस सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल पायी. 1967 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला. पहली सरकार महामाया प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में बनी. यह सरकार दस महीने चली.
28 जनवरी, 1968 को सतीश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में दूसरी सरकार बनी. यह सरकार तीन दिनों में ही खत्म हो गयी. एक फरवरी, 1968 को बीपी मंडल की सरकार बनी. एक महीने से कम समय तक चली. यह सरकार कांग्रेस के सहयोग से गिर गयी. भोला पासवान शास्त्री 22 फरवरी, 1968 को मुख्यमंत्री बने. यह सरकार भी महज 95 दिनों तक ही चली.
उसी साल जून में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. 1969 में मध्यावधि चुनाव हुए. एक बार फिर किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घट कर 118 पहुंच गयी. सरदार हरिहर प्रसाद सिंह मुख्यमंत्री बनाये गये. इन्हीं दिनों कांग्रेस में विभाजन हुआ.
इसके बाद क्रमश: भोला पासवान शास्त्री, दारोगा प्रसाद राय , कर्पूरी ठाकुर और भोला पासवान शास्त्री तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाये गये. 22 दिसंबर, 1970 को मिली-जुली सरकार बनी. इसके मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर बने. यह सरकार उसी जनसंघ के समर्थन से बनी , जिसके सहयोग से कुछ ही माह पूर्व रामानंद तिवारी की सरकार बनने की संभावना को लेकर आपस में बवाल शुरू हो गया था.
बाद में खुद ही रामानंद तिवारी ने सरकार बनाने इन्कार कर दिया. कर्पूरी ठाकुर की यह सरकार महज 163 दिनों तक चल पायी और दो जून, 1971 को सरकार गिर गयी. इस सरकार में रामानंद तिवारी पुलिस मंत्री के रूप में शामिल हुए.
बिहार विधान परिषद की ओर से वरिष्ठ पत्रकार हेमंत लिखित पुस्तक बिहारनामा के मुताबिक संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में जनसंघ के समर्थन पर भी मतभेद था और अगड़े-पिछड़े गुट उभर आये थे, जिसके कारण पार्टी टूट के कगार पर पहुंच गयी थी.
Posted by Ashish Jha