पटना/बिक्रम : पहले चरण में प्रस्तावित बिक्रम विस का चुनाव पुराने चेहरों पर ही लड़े जाने की संभावना बन रही है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले सिद्धार्थ फिर से महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
उनको राजद के साथ ही वामपंथी पार्टियों का समर्थन है. मगर एनडीए खेमे से अभी तक टिकट फाइनल नहीं हो सका है. इस सीट से तीन बार विधायक रहे अनिल कुमार को ही भाजपा कोटे से उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा है. हालांकि भाजपा के ही युवा विंग के अध्यक्ष अतुल कुमार भी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
साथ ही पुर्लस पार्टी की ममता प्रियदर्शी, बसपा से रामप्रवेश यादव व निर्दलीय सहित आठ लोगों ने नामांकन को लेकर नाजिर रसीद कटवा रखी है. पिछले चुनाव में जदयू-कांग्रेस-राजद का आधार वोट जुड़ने पर वर्तमान कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ की जीत काफी आसान हो गयी थी. उन्होंने भाजपा के अनिल कुमार को करीब 44 हजार वोटों के अंतर से हराया था.
जनता पार्टी के कैलाशपति मिश्र भी इस सीट पर जीते
बिक्रम विस सीट पर भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले स्व कैलाशपति मिश्र ने भी वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इस सीट पर भाकपा के रामनाथ यादव ने तीन बार, जबकि कांग्रेस की मनोरमा देवी ने दो बार जीत दर्ज की है.
एक चौथाई से अधिक भूमिहार मतदाताओं पर नजर : तीन लाख से अधिक मतदाताओं में एक चौथाई से अधिक करीब 1.10 लाख भूमिहार मतदाता हैं. इन पर दोनों गठबंधनों की नजर है. साथ ही क्षेत्र में करीब 75,000 की आबादी यादव, 16,000 वैश्य, 16,000 अल्पसंख्यक व करीब 40,000 आबादी महादलितों वोटरों की है.
17 वर्षों से बिक्रम को ट्राॅमा सेंटर का इंतजार : बिक्रम विस मे कई तरह की समस्या है, जिसमें प्रमुख बिक्रम का ट्राॅमा सेंटर है. यह करीब 17 वर्षों से बन कर तैयार है, किंतु अभी तक चालू नहीं हो सका. वहीं, बिक्रम बाजार स्थित लगभग तीन एकड़ में फैला डाकबंगला जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. बिक्रम का गांधी आश्रम, जहां गांधी जी तीन बार आये, उनको पर्यटन स्थल नहीं बनाया जा सका.
Posted by Ashish Jha