नालंदा : महिलाओं की सशक्तीकरण, उत्थान व राजनीति में इनकी उचित भागीदारी की वकालत सभी राजनीतिक दल करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. विधानसभा तक का सफर तय करने में आधी आबादी अब तक हाशिये पर रही है. नालंदा जिले को देखें तो महिलाओं के लिए राजनीतिक अधिकार दूर की कौड़ी जैसी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1951 से लेकर 2015 ईस्वी के बीच हुए 16 विधानसभा चुनावों में केवल दो महिलाओं को ही बिहार विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है. 69 साल के लंबे राजनीतिक सफर में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी नगण्य जैसी है. नालंदा में पहले आठ-नौ विधानसभा क्षेत्र थे. लेकिन अब सात विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें एकंगरसराय और चंडी विधानसभा क्षेत्र का नाम विलोपित हो चुके हैं. इस्लामपुर और हिलसा विधानसभा क्षेत्र से अब तक केवल दो महिलाएं ही विधानसभा तक पहुंच सकी हैं.
शेष बाकी सभी विधानसभा क्षेत्र का पुरुष ही प्रतिनिधित्व करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से वह दोनों महिलाएं चुनाव जीती हैं. नालंदा में जदयू के अलावा राजगीर से कांग्रेस हिलसा से लोजपा और भाकपा माले द्वारा महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा गया है. यह अलग बात है कि जदयू के अलावा किसी अन्य दल की महिलाओं को सफलता नहीं मिल सकी है. जदयू की प्रतिमा सिन्हा 2005 में इस्लामपुर से विधायक निर्वाचित हुई थीं. उनके पति पंकज कुमार सिन्हा भी इस्लामपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह 1980 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि गंगा देवी महिला कॉलेज, पटना की प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ) उषा सिन्हा को 2010 में जदयू ने हिलसा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था. पहली बार में ही डॉ सिन्हा विधानसभा पहुंचकर महिलाओं की संख्या जोड़ा बना दीं.
नालंदा में पहले नौ विधानसभा क्षेत्र अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, नालंदा, इस्लामपुर, एकंगरसराय, हिलसा, चंडी और हरनौत था. बाद में एकंगरसराय विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया. इसके एक भाग को हिलसा और दूसरे भाग को इस्लामपुर विधानसभा में मिला दिया गया है. इसके बाद नालंदा में आठ विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होने लगे. इसी प्रकार पुनः परिसीमन होने के बाद चंडी विधानसभा को भंग कर उसकी बड़ी आबादी को हरनौत और थरथरी थाना क्षेत्र को हिलसा में सामंजन कर दिया गया है. वर्तमान में यहां सात विधानसभा क्षेत्र हैं, इनमें अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, नालंदा, इस्लामपुर, हिलसा और हरनौत विधानसभा क्षेत्र है. जिले के केवल दो विधानसभा क्षेत्र इस्लामपुर और हिलसा से एक-एक बार महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है. लेकिन अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, नालंदा और हरनौत विधानसभा क्षेत्र से अब तक एक भी महिला को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला है.
सबसे गौर करने वाली बात यह है कि महिलाओं पर भरोसा जताने के मामले में राजनीतिक दल बहुत पीछे हैं. शायद यही कारण है कि 69 साल के लंबे चुनावी सफर में प्रमुख राजनीतिक दलों ने काफी कम संख्या में महिलाओं को टिकट दिया है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अब तक प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी चंद महिलाओं को ही टिकट दिया है. उनमें जदयू सबसे आगे है. हालांकि राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं पर लगाया गया दांव अपवाद को छोड़कर सफल रहा है. बावजूद टिकट के मामले में इनकी उपेक्षा होती रही है.
posted by ashish jha