पटना : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक करने को लेकर शनिवार को बैठक कर चर्चा की गयी. साथ ही संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये गये. चुनाव आयोग के 10 अक्तूबर, 2018 और छह मार्च, 2020 के जारी निर्देश का हवाला देते हुए राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को प्रकाशित कराने का निर्देश दिया गया है. उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को तीन बार आपराधिक इतिहास की जानकारी समाचार पत्रों और टेलीविजन में प्रकाशित कराना होगा.
संशोधित दिशानिर्देश के अनुसार, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के साथ-साथ नामित उम्मीदवारों का अगर कोई आपराधिक इतिहास रहा हो तो समाचार पत्रों और टेलीविजन में उसका विवरण प्रकाशित करेंगे. पहला प्रचार वापसी की अंतिम तारीख के पहले चार दिनों के भीतर. दूसरा प्रचार नाम वापसी की अंतिम तिथि के पांच दिनों के भीतर और तीसरा प्रचार अभियान के अंतिम दिन से नौवें दिन तक, यानी मतदान की तारीख से दो दिन पहले.
आयोग का कहना है कि यह समयसीमा मतदाताओं को अधिक सूचित तरीके से अपनी पसंद का उम्मीदवार चयन करने में मदद करेगी. निर्विरोध विजयी उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक दल जो उन्हें नामांकित करते हैं, के बारे में यह स्पष्ट किया जाता है कि निर्विरोध विजेता उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक दल, जो उन्हें नामांकित करते हैं, वे आपराधिक विरोधी भी प्रचार करेंगे.
आयोग द्वारा तय किया गया है कि इस मामले में अब तक जारी सभी निर्देशों और प्रारूपों का एक प्रारूप प्रकाशित किया जा रहा है. इससे मतदाताओं और अन्य हितधारकों के बीच अधिक जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी.
सभी निर्देश, आपराधिक उम्मीदवारों के साथ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उनके नामित उम्मीदवारों के बारे में राजनीतिक दलों द्वारा अनुपालन किया जाना चाहिए. ये संशोधित निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.