चंदन, मधेपुरा : जदयू से अलग होने के बाद पहली बार शरद यादव कोसी इलाके की राजनीति की मुख्य धूरि नहीं होंगे. 2015 के चुनाव में भी शरद यादव की सलाह से ही कोसी इलाके में उम्मीदवारों का चयन हुआ था.
इस बार ऐसी नौबत नहीं है. शरद यादव जदयू से बाहर हैं और महागठबंधन में राजद उन्हें तवज्जो नहीं दे रहा. ऐसी स्थिति में करीब 30 वर्षों से अधिक समय से कोसी की राजनीति में दखल रखने वाले शरद यादव के साये से पहली बार यह इलाका अछूता रहेगा.
महागठबंधन टूटने के बाद जदयू से निष्कासन एवं उसके बाद की राजनीति में शरद यादव हाशिए पर पहुंच गए हैं. अभी वह लोजद के राष्ट्रीय संरक्षक हैं, लेकिन महागठबंधन में शरद को उनके कद के अनुसार जगह नहीं मिल पा रही है.
शरद यादव की बिहार की चुनावी राजनीति में 1991 में इंट्री हुई थी, जब वे मधेपुरा संसदीय सीट पर चुनाव लड़ की लोकसभा पहुंचे थे. वे यहां से 1996,1999 और 2009 में भी चुने गये. 1999 में शरद ने लालू प्रसाद को करीब 30हजार वोटों से हराया था. 1998 व 2004 में लालू प्रसाद ने उन्हें हरा दिया था.
posted by ashish jha