Bihar Election, Flashback : जानें 1967 के बाद कब-कब बनी गठबंधन वाली सरकार ? 2000 के बाद कोई भी सरकार बिना गठबंधन की नहीं
Bihar ka gathbandhan sarkar, Bihar Election latest updates, Flashback, Election Memories, coalition government : पटना (मिथिलेश) : बिहार में गठबंधन सरकार का पहला स्वरूप 1967 के विधानसभा चुनाव में दिखा, जब संपूर्ण विपक्ष मिल कर कांग्रेस की सरकार नहीं बनने दी. चुनाव के पहले सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन जब परिणाम घोषित हुए तो एक नये समीकरण का इजाद हुआ. कांग्रेस पहली बार सत्ता से बेदखल हुई. संयुक्त विधायक दल संविद का गठन हुआ और गठबंधन की सरकार बनी. एक बार जब गठबंधन की सरकार बनी, तो इसका सिलसिला शुरू हो गया.
Bihar ka gathbandhan sarkar, Bihar Election latest updates, Flashback, Election Memories, coalition government : पटना (मिथिलेश) : बिहार में गठबंधन सरकार का पहला स्वरूप 1967 के विधानसभा चुनाव में दिखा, जब संपूर्ण विपक्ष मिल कर कांग्रेस की सरकार नहीं बनने दी. चुनाव के पहले सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन जब परिणाम घोषित हुए तो एक नये समीकरण का इजाद हुआ. कांग्रेस पहली बार सत्ता से बेदखल हुई. संयुक्त विधायक दल संविद का गठन हुआ और गठबंधन की सरकार बनी. एक बार जब गठबंधन की सरकार बनी, तो इसका सिलसिला शुरू हो गया.
इसके बाद तीन और प्रयोग हुए. 1969, 1977,1990 में गठबंधन की ही सरकार बनी. 1990 के बाद तो यह सिलसिला जारी रहा. 2000 से जितने भी चुनाव हुए, किसी भी बड़े दल को अकेले मैदान में जाने की हिम्मत नहीं हुई. 2015 में एक नया प्रयोग हुआ, जब जदयू और राजद एक मंच पर आया, साथ में कांग्रेस भी दिखी. इस बार भी दोनों ओर गठबंधन ही मैदान में होंगे. इस चुनाव में अब तक प्रदेश में छह गठबंधन आकार ले चुके हैं.
1967 से 1972 के बीच नौ सरकारें बनीं. महामाया प्रसाद सिन्हा की पहली गैर कांग्रेसी सरकार अधिक दिनों तक टिक नहीं पायी, महज दस महीने में संविद सरकार गिर गयी. फिर बनी दूसरी सरकार, वह भी अधिक दिनों तक नहीं चल पायी. दो साल बाद ही 1969 में विधानसभा का मध्यावधि चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस की संख्या और कम हो गयी और वह 118 पर ही सिमट गयी.
इस चुनाव बाद जो सरकार बनी वह भी गठबंधन की ही सरकार थी. इस अवधि में दो सरकारें बनीं. दोनों ही गठबंधन की ही सरकार थी. अगड़े- पिछड़े नेतृत्व की लड़ाई में गैर कांग्रेसी सरकार नहीं बन पायी. पहले 16 फरवरी, 1970 को इंदिरा कांग्रेस के नेता दारोगा प्रसाद राय के नेतृत्व में पहली सरकार बनी. इस सरकार को पहली बार सीपीआइ ने समर्थन किया.
इसके अलावा प्रजातांत्रिक सोस्लिस्ट पार्टी, शोषित दल,लोकतांत्रिक क्रांति दल जैसी पार्टियों ने समर्थन किया. यह सरकार दिसंबर, 1970 में गिर गयी. इसके बाद कर्पूरी ठाकुर की अगुआई में दूसरी सरकार बनी. गैर कांग्रेसी संयुक्त विधायक दल में जनसंघ, संगठन कांग्रेस, लोकतांत्रिक कांग्रेस, शोषित दल, भारतीय क्रांति दिल जैसी पार्टियों ने समर्थन किया. बाद में 1972 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिल गया.
1977 में दिखा दूसरा प्रयोगइसके बाद गठबंधन का दूसरा बड़ा प्रयोग 1977 में देखने को मिला. कांग्रेस की हुकूमत केंद्र से चली गयी थी. बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई. चुनाव में कांग्रेस का तिलस्म खत्म हुआ. यहां उसके महज 57 विधायक चुनाव जीत पाये.
कर्पूरी ठाकुर इस समय सांसद चुने गये थे. उन्हें संयुक्त विधायक दल का नेता चुना गया. जनता पार्टी की सरकार बनी. जनता पार्टी में जनसंघ, लोकदल जैसी पार्टियां शामिल हुईं. इस सरकार का भी वही हश्र हुआ, जो पहली गैर कांग्रेसी सरकार का हुआ था. आपसी तिकड़म और मनमुटाव के चलते केंद्र की मोरारजी देसाई की सरकार गिर गयी.
कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने. कुछ दिन के अंतराल पर कांग्रेस ने चरण सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. मात्र ढाई साल बाद ही 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुए. कांग्रेस केंद्र की सत्ता में वापस आयी. आते ही बिहार की सरकार बर्खास्त कर दी गयी. इसी साल यहां भी विधानसभा के चुनाव हुए और कांग्रेस की बहुमत वाली सरकार बनी.
चुनाव के अनुसार गठबंधन की स्थिति1967 की स्थिति :
कांग्रेस-128,बीजेएस-26,सीपीआइ-24,सीपीएम-चार,पीएसपी-18,एसएसपी-63,एसडब्लयूए-03,जेकेडी-13, निर्दलीय-33.
1969 की स्थिति
बीजेएस-34, सीपीआइ-25, सीपीएम-03, कांग्रेस-18, पीएसपी-18, एसएसपी-52, एसडब्लयूए-03, जनता पार्टी-14, बीकेडी-06, एलटीसी-09, पीएचजे-05.
1977 की स्थिति:
सीपीआइ-21, सीपीएम-04, कांग्रेस-57, जनता पार्टी-214, जेकेडी-02, निर्दलीय-24.
1990 की स्थिति:
भाजपा-39, सीपीआइ-23, सीपीएम-06, कांग्रेस-71, जनतादल-122, जेएनपी-03, जेएमएम-19, निर्दलीय-30.
1995 की स्थिति :
भाजपा-41, सीपीआइ-21, सीपीएम-06, कांग्रेस-29, जनता दल-167, समता पार्टी-07, जेएमएम-10, भाकपा माले-10.
2000 की स्थिति:
भाजपा-67,बसपा-05,सीपीआइ-05, सीपीएम-02, कांग्रेस-23, जदयू-21, जेएमएम-12, राजद-124, समता पार्टी-34, निर्दलीय -20.
अक्तूबर 2005:
भाजपा-55, जदयू-88, लोजपा-10, राजद-54, माले-05, निर्दलीय-10.
2010 की स्थिति :
भाजपा-91, जदयू -115, कांग्रेस-04, राजद-122, लोजपा-03, निर्दलीय-06.
2015 की स्थिति :
भाजपा-53, कांग्रेस-27, जदयू-71, लोजपा-02, राजद-80, रालोसपा-02, भाकपा माले-03, निर्दलीय-04.
1990 में हुआ तीसरा प्रयोगबिहार में 1990 के दशक की शुरुआत ही गठबंधन की सरकार से हुई. इस समय कांग्रेस की हालत पतली हो चुकी थी. विपक्ष में भी नये युवा तुर्क अपनी राजनीतिक पहचान बना चुके थे. बुजुर्ग हो रहे नेताओं को किनारे किया जा रहा था. इसी परिप्रेक्ष्य में 1990 का विधानसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस महज 71 सीटों पर सिमट कर रह गयी. जनता दल 122 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन उसकी संख्या सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पायी थी. लालू प्रसाद को जनता दल विधायक दल का नेता चुना गया.
लालू के नेतृत्व में बनी सरकार को भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी समर्थन मिला. कई दलों के समर्थन से चली इस सरकार अपना कार्यकाल पूरा किया. 1995 में जब चुनाव हुए तो लालू प्रसाद की पार्टी को 167 सीटें आयीं.
2000 के बाद कोई भी सरकार बिना गठबंधन की नहीं2000 के चुनाव में एक ओर भाजपा और जदयू का गठबंधन मैदान में था, तो दूसरी ओर राजद और कांग्रेस ने अलग-अलग उम्मीदवार दिये. चुनाव बाद कांग्रेस की संख्या 23 पहुंच गयी. राजद को 124 सीटें आयीं. शुरुआत में लगा कि गैर राजद सरकार बिहार में बनी.
नीतीश कुमार ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और मुख्यमंत्री के रूप में शपथ भी ली, लेकिन सातवें दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद राबड़ी देवी के नेतृत्व में सरकार बनी, जिसमें कांग्रेस साझीदार बनी. कांग्रेस के सभी सदस्य मंत्री बनाये गये और सदानंद सिंह को विधानसभा अध्यक्ष का पद मिला.
2005 व 2010 में भी गठबंधनों के बीच हुआ जंग2005 में दो चुनाव हुए. फरवरी में हुए चुनाव में किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिला और कुछ दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लग गया. अक्तूबर में हुए चुनाव में जदयू और भाजपा गठबंधन को भारी बहुमत मिला और एनडीए की सरकार बनी. 2010 में भी दोनों दलों का गठबंधन रहा. दूसरी ओर, राजद और कांग्रेस व लोजपा का गठबंधन मैदान में सामने आया.
2015 में आया महागठबंधन2015 के विधानसभा चुनाव में एक नया समीकरण सामने आया जब आपसी मतभेद भुला कर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद एक साथ आये. इनके साथ कांग्रेस भी आयी. दूसरी ओर भाजपा के साथ लोजपा, हम और रालोसपा रही. महागठबंधन को भारी बहुमत मिला. एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी.
Posted by : Sumit Kumar Verma