गया : इस वर्ष आयोजित हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव कोविड-19 से चरमराये फूल माला के कारोबार के लिए वरदान साबित होने लगा है. नामांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही बाजार में फूल माला की मांग बढ़ने लगी है. मालूम हो कि लोकसभा, विधानसभा, काउंसिलर, जिला पर्षद सहित सभी तरह के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान सबसे अधिक फूल से बने मालाओं की मांग एकाएक बढ़ जाती है. प्रत्याशियों की संख्या अधिक होने पर इसके कारोबारियों को डिमांड पूरा करना भी मुश्किल हो जाता है. इस बार भी विधानसभा के चुनाव में संभवतः यही स्थिति बन सकती है.
कोविड-19 को लेकर पिछले करीब छह महीनों से ठप पड़ा यह कारोबार विधानसभा चुनाव के नामांकन के पहले दिन से ही पुनर्जीवित होने लगा है. प्रत्येक आम चुनाव में एक प्रत्याशी के नामांकन पर दर्जनों माला की बिक्री होती रही है. इस चुनाव में भी कुछ इसी तरह की स्थिति नामांकन के पहले दिन से ही बननी शुरू हो गयी है. कारोबार की यह स्थिति जिले के सभी 10 विधानसभा क्षेत्रों में है, जहां एनआर लेने वाले अभ्यर्थियों को उनके समर्थक माला पहनाकर स्वागत करना शुरू कर दिये हैं. नामांकन के सभी दिन प्रत्येक आम चुनाव में माला फूल की अधिक बिक्री होती रही है. नामांकन कर लौटने के बाद प्रत्याशियों व वाहनों को उनके समर्थक माला फूल से सजा कर क्षेत्रों का भ्रमण भी कराते रहे हैं. जानकारी के अनुसार इस चुनाव में भी अधिकतर प्रत्याशियों व उनके समर्थकों द्वारा इसी तरह की व्यवस्था की तैयारी की जा रही है.
प्रत्येक आम चुनाव में आयोजित होने वाली सभा, रैली व प्रत्याशियों द्वारा किये जाने वाले जनसंपर्क अभियान में सबसे अधिक गुलाब व गेंदा के फूल से बने माला का डिमांड होता रहा है. कारोबारियों की माने तो इस वर्ष भी इन्हीं दो फूलों से बने माले का डिमांड प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा की जा रही है.
फूल माला के कारोबारी मुकेश कुमार मालाकार, विकास मालाकार, शंकर मालाकार व दिलीप मालाकार ने बताया कि कोरोना के कारण फूलों के दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई है. आम चुनाव में गेंदा फूल की लरी 15 रुपये प्रति पीस, रजनी फूल की लरी 10 रुपये प्रति पीस, गुलाब फूल पांच रुपये प्रति पीस, मोती दाना फूल का माला पांच रुपये प्रति पीस, तगड़ी फूल का माला तीन से पांच रुपये प्रति पीस, गुलदस्ता 75 से 300 रुपये तक, फूल का बड़ा माला 100 से एक हजार रुपये तक ग्राहकों के हाथों बेची जा रही है. हालांकि इन कारोबारियों ने यह भी कहा कि कोरोना, सभा, रैली व भीड़ के साथ प्रचार कार्यक्रमों पर रोक लगने से इस चुनाव में बीते चुनावों की तरह कारोबार होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
posted by ashish jha